28 सितंबर 2010

खुर्शीद मुज़फ्फर नगरी हिन्दुस्तान के मशहूर कसीदा पढने वालों में शुमार किये जाते हैं. उनकी आवाज़ का जादू सुनने वाले को मसहूर कर देता है. नीचे विडियो में उन्हों ने वोह कसीदा पढ़ा है जो तकरीबन 15 से 20 साल पुराना है. मगर जब वोह अपने मखसूस अंदाज़ में पढ़ते हैं तो बिलकुल ताज़ा मालूम होता है. सुनने वाला चाहे कितना ही थका हुआ हो वोह अपनी थकान को भूल कर अहले बैत की मोहब्बत में डूब जाता है. खुदा, खुर्शीद भाई की आवाज़ को हमेशा तरो ताज़ा रखे .

23 सितंबर 2010

मरहूम आका हसन का सेव्वोम आज


इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलाय्हे राजेऊन. सय्यद आका हसन इब्ने नाजिम हुसैन का कलकत्ता मेल में इलाहाबाद जाते हुए इगतपुरी से पहले मंगल रात तकरीबन  11.30 बजे इन्तेकाल हो गया. मरहूम की तद्फीन बुध को शाम 4.30 बजे बम्बई के रेह्मताबाद कब्रस्तान में अमल में आई.
मरहूम आका हसन हमारे फुफा थे. 12 सितम्बर को सख्त बीमारी की वजह से उन्हें मीरा रोड के अस्पताल में दाखिल किया गया. वहां पर जब उम की तबियत में फर्क न हुवा तो उन्हें 15 सितम्बर २०१० को बम्बई के मशहूर सरकारी अस्पताल KEM ले जाया गया . एक हफ्ता रहने पर जब और शिफा के आसार नहीं दिखाई दिए तो उन्हें इलाहाबाद के लिए 21 सितम्बर को ले जाने के लिए कलकत्ता मेल में सवार किया गया. लेकिन मिटटी बम्बई की थी.
आज आंबेडकर रोड, बान्द्रा में मग्रेबय्न की नमाज़ के बाद  मरहूम के फातेहा की मजलिस है.  आप लोगों से शिरकत की गुज़ारिश है. यह भी गुज़ारिश है की मरहूम को एक सुरह फातेहा पढ़ कर बख्श दें.
 

18 सितंबर 2010

जन्नतुल बक़ी

जन्नतुल बक़ी के  इन्हेदाम पर एक शाएर ने अपने तासुरात पेश किये हैं.

"यौमे ग़म "

आज 8 शव्वाल. 1925 में आले सऊद ने मदीना में जन्नतुल बक़ी पर बने मासूमीन के रोजों को शहीद करवाया था. इस वाकए को याद करते हुए दुनिया भर के मुसलमान "यौमे ग़म " मनाते हैं.

15 सितंबर 2010

सय्यद आका हसन रिज़वी की सेहत के लिए दुआ

गुज़िश्ता सनीचर से हमारे फुफा सय्यद आका हसन रिज़वी मीरा रोड के अस्पताल में ICU में दाखिल थे, कल उन्हें KEM अस्पताल में ले जाया गया. हालत पूरी तरह से काबू में नहीं है. आप लोगों से गुज़ारिश है के उनकी  सेहत की दुआ करें.
शिफा के लिए सब से बेहतरीन दुआ, कुरआन मजीद की आयत ," अम्मईं युजीबुल मुज्तार्रा इजा द आ हो व यक्शिफुस सू " है, इसे दस बार पढ़ें . अधिक जानकारी के लिए 9820817072 पर काल करें.

06 सितंबर 2010

इमाद महदी

इमाद महदी, मरहूम ग़ुलाम हसनैन करार्वी के सब से छोटे पोते .

01 सितंबर 2010

ज़फर की नज़र से

21 रमजान की सुबह जैनाबिया इमामबाड़ा में मौला अली (अ.स.) के ताबूत बरामद होने  के बाद ज़फर (पापा) ने अपने तास्सुरात पेश किये .  ज़फर का ताल्लुक तलाब्पर करारी से है.