30 दिसंबर 2010

अंसार हुसैन की इकलौती लड़की की तद्फीन

कल बुध की शाम को प्यारे बाबा मरहूम के फ़रज़न्द, अंसार हुसैन (साहबजादे) की एक ही नौजवान लड़की तनवीर फातेमा की मौत वाके हो गई. मरहूमा, दैनिक जागरण के कोशाम्बी के पत्रकार सरदार हुसैन उर्फ़ नय्यर की भतीजी हैं. तद्फीन आज मीरा रोड में नमाज़े जोहर के फ़ौरन बाद होगी. साहबजादे रेलवे में नौकरी करते हैं और मीरा रोड में रहीश पजीर हैं. तद्फीन के सिलसिले में मजीद मालूमात के लिए अली मियां इब्ने शरीफुल हसनैन से 9820386766 पर राबता किया जा सकता है.

26 दिसंबर 2010

करारी की पहली मजलिस

मुहर्रम में करारी में मजालिस का आग़ाज़ सुबह सात बजे से हो जाता है. पहली मजलिस डिप्टी साहब के इमामबाड़े में होती है जिसे मौलाना ज़ोहैरकैन साहब खिताब फरमाते हैं. लेकिन उनसे पहले करारी के मशहूर सोज़ खान जनाब महमूदुल हसन आकर माईक पर पढना शुरू करते हैं. उनकी आवाज़ सुनकर अज़ादार अपने घरों से निकलना शुरू करते है. इस विडियो में माईक वाला आकर पहले माईक सेट कर रहा है. उसके बाद सोज़ शुरू होता है.

वादिस सलाम में मजलिस

वदिस सलाम में ११ मुहर्रम को दोपहर तीन बजे मरहूम सय्यद ग़ुलाम हसनैन करार्वी की क़ब्र पर मजलिसे अजा मुनकिद की गई जिसे मौलाना रज़ा हैदर ने खिताब किया .

21 दिसंबर 2010

नमाज़े वहशत की गुज़ारिश

गुलज़ार फ़ातेमा बिन्ते अली असग़र (गुज्जन बाजी) की तद्फीन आज मंझनपुर में हो गई. मरहूमा की उम्र 80 से ज़्यादा हो चुकी थी. आप लोगों से गुज़ारिश है की उनके लिए नमाज़े वहशत ज़रूर पढ़ें. 

20 दिसंबर 2010

गुलज़ार फातेमा का अलालत के बाद इन्तेकाल


आज इलाहाबाद में एक तवील मुद्दत की बीमारी के बाद गुलज़ार फातेमा बिन्ते अली असग़र (वसीम की वालेदाह) ने इस फानी दुनिया को खैरबाद कहा. मरहूमा हज्ज और ज़ियारात के फराएज़ भी अदा कर  चुकी हैं. तद्फीन इंशा अल्लाह कल मंगल के रोज़ मंझनपुर में 2 बजे होगी.

18 दिसंबर 2010

करारी में फ़ाक़ा शिकनी

रोज़े आशूर कर्बला में जुलूस ख़त्म करने और ताज़िया दफ्न करने के लोग अपने अपने इमामबाड़ों में फाक़ा शिकनी करने जाते हैं. तक़रीबन बीस बरसों से डा. अख्तर हसन रिज़वी (रिज़वी बिल्डर्स) अपने वालिदे मरहूम के ईसाले सवाब के लिए बड़े दरवाज़े के इमामबाड़ा में फ़ाक़ा शिकनी का प्रोग्राम का एहतेमाम करवाते हैं. लेकिन चंद अफराद के एतेराज़ की वजह से गुज़िश्ता साल से यह एहतेमाम रोशन अली के इमामबाड़े में मुन्ताकिल कर दिया गया. इस साल दीगर अफराद ने यह गुजारिश की है के इंशाल्लाह यह प्रोग्राम बड़े दरवाज़े होना चाहिए ताकि मरकज़ीयत बनी रहे.

बड़े दरवाज़े के इमामबाड़े के पीछे और बरगद के नीचे फ़ाक़ा शिकनी का दाल और चावल तैयार हो रहा है.

 

रेहान भाई के मकान पर दौरे की मजलिस

फाटक के अक़ब में रेहान भाई के मकान पर दौरे की मजलिस पहली मुहर्रम से नौ मुहर्रम तक बरपा होती है. इन मजलिस की ख़ुसूसियत यह है की रेहान भाई खुद मर्सिया खानी अपने ख़ास अंदाज़ में करते हैं. और 8 मुहर्रम  को  एक  जुलूस  भी  उनके  मकान  से  बरामद  होकर  खर्कापर  जाकर वापस लौटता है. बस एक कमी लोग महसूस करते हैं की मग़रिब की नमाज़ के वक़्त भी यह जुलूस जारी रहता है.
रेहान भाई मर्सिया पढ़ते हुए 

मरहूम मौलाना आबिद हुसैन की सालाना याद

दोशम्बा 13 मुहर्रम को शिया जामे मस्जिद में सुब्ह दस बजे मरहूम मौलाना सय्यद आबिद हुसैन ताबा सरह की रेहलत की सालाना याद मनाते हुए एक मजलिसे अज़ा का इनेक़ाद उनके पस्मंदगान ने किया है. करारी में मौजूद मोमिनीन से शिरकत की दरख़ास्त है. मरहूम करारी के उन ओलमा में शुमार किये जाते हैं जो अपनी सरज़मीन से मोहब्बत रखते थे और फ़ख्र से अपने नाम के आगे करार्वी लिखते थे . यही नहीं बल्कि मरहूम ने अपनी तद्फीन की वसीयत कर्बला के लिए की. आप से उनके के लिए सुरह फातेहा की गुज़ारिश है. 

वादिस सलाम में मजलिस


आज दोपहर तीन बजे करारी वादिस सलाम में हमारे वालिदे मरहूम सय्यद ग़ुलाम हसनैन करार्वी की मर्क़द (कब्र) के पास मजलिसे अज़ा का एहतेमाम किया गया है. अज़दारों से शिरकत की गुज़ारिश है. मजलिस का आग़ाज़ जावेद रिज़वी एक मुख़्तसर मर्सिया से करेंगे.

अल्लामः जवादी की दसवीं बरसी


आज सुबह ग्यारह बजे करारी शिया जामे मस्जिद में मरहूम अल्लामः जवादी (ताबा सराह)  की दसवीं बरसी की मजलिस का एहतेमाम किया गया है. अल्लामः जवादी की रेहलत (इन्तेक़ाल) अबू ज़बी में रोज़े आशूरा हुआ था और उनकी तद्फीन इलाहाबाद के दर्याबाद  क़ब्रस्तान  में हुई थी. करारी में मौजूद मोमिनीन से शिरकत की दरख्वास्त है और यह पोस्ट पढने वालों से अल्लामः की रूह के बुलंदिए  दरजात के लिए  सुरए फातेहा की गुजारिश है.

17 दिसंबर 2010

करारी में आशूरा का जुलूस

आज करारी में आशूरा का जुलूस बड़ी शानो शौकत से निकाला गया. तीन बड़े ताज़िए तीन अलग अलग मोहल्लों से निकलकर कर्बला पहुँचते हैं. एक ताजिया तालाब्पर से, दूसरा खर्कापर और तीसरा तेल्या पर से बरामद होते हैं. तेल्यापर के बड़ा दरवाज़े के इमामबाड़े में पहले शेहाब ने मुख़्तसर मसाएब पढ़ा उसके बाद सुब्बन रिज़वी ने मर्सिया पढ़ा और आखिर में मौलाना जवाद हैदर ने चाँद फिकरे मसाएब के पढ़े. जुलूस के इख्तेताम पर ज़ोरदार मातम पर नौहा "शब्बीर बहुत ही प्यासे थे इक बूँद नहीं पाया पानी" पढ़ा गया. इमाम बाड़ा रौशन  अली में फाक़ा  शिकनी कराई गई और ज़ियारते ताजियत पढ़ी गई.

15 दिसंबर 2010

छोटे तालाबपर में मजलिसो मातम

छेह मुहर्रम की शब्  में छोटे तालाब्पर में मजलिस हुई . उसके बाद अम्बाही की अंजुमन ने नौहओं मातम किया. रात 7.30 बजे यह प्रोग्राम जावेद रिज़वी के मर्सिये से शुरू हुआ. लहना  के आलिमे दीन मौलाना अली रेज़ा साहब ने खेताब फ़रमाया. लखनऊ में मुकीम सय्यद ऐनुर रज़ा सिर्फ इसी मजलिस में शिरकत करने आए थे. यह उनके हिस्से  की सालाना मजलिस होती  है जिसमें उनका हर भाई मौजूद रहने की कोशिश करता है.

छोटे तालाबपर का इमामबाड़ा 

दीन में मुनाफा

लोग दुनिया के बन्दे हैं और दीन सिर्फ उनकी ज़बानों पर चढ़ा हुआ है. 
जब तक उनको मुनाफा मिलता रहेगा दीन का नाम लेते रहेंगे .... 
उस के बाद जब बलाओं के ज़रिए आज़माए  जाते हैं तो 
दीन्दारों की तादाद खुदबखुद कम हो जाती है.

                                                                     -----इमाम हुसैन (अ.स.)

करारी में चार बड़े जुलूस

करारी में चार बड़े जुलूसे अजा बरामद होते हैं जो कर्बला पर इख्तिताम पजीर होते हैं. पहला जुलूस खर्कपर से बरामद होता है. दूसरा जुलूस हाता के पास खुरशेद के आबाई मकान से. तीसरा जुलूस महल पर से और चौथा रोज़े आशूर को जो एक साथ तीन मकामात से बरामद होता है. तेल्यापर, तलाब्पर और खर्कापर.
5 मुहर्रम को जुलूस बरामद हुआ जिसमें शबीहे ज़ुल्जनाह नहीं होता है सिर्फ अलम होता है. यह जोलूस मग़रिब की अज़ान तक कर्बला पहुँच जाता है.

बड़ा घर का इमामबाड़ा

बड़ा घर का इमामबाड़ा जिसे लोग बड़ा दरवाज़ा भी कहते हैं और जो तेल्यापर में है, वहां रोजाना सुब्ह 8.30 मजलिस का वक़्त तय है. यह अशरा खानदान के अलग अलग के जिम्मे है. हर मजलिस बटी है. पांच मुहर्रम को अबू मोहम्मद-औंन  मोहम्मद के हिस्से में आती है. इस मजलिस में सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी साहब मर्सिया पढ़ते हैं और ग़ज़ब का पढ़ते हैं. लेकिन इस साल उनकी तबियत नासाज़ होने की वजह से वोह इलाहाबाद से ना आ सके थे. दैनिक जागरण के संवाद दाता नय्यर को मर्सिया पढना पड़ा. अच्छा मर्सिया पढ़ा. अल्लाह उनकी सलाहियतों  में इजाफा करे.
सरदार हुसैन उर्फ़ नय्यर मर्सिया पढ़ते हुए 
   

पहली मजलिस डिप्टी साहब के इमामबाड़े में

मुहर्रम में करारी की सब से पहली मजलिस डिप्टी साहब के इमामबाड़े में होती है. सुबह 7.00 बजे सोज़ खानी महमूद भाई शुरू कर देते हैं. मौलाना जोहैरकैन साहब बरसों से यहाँ जाकिरी कर रहे हैं. इमामबाड़े की हालत बहुत खस्ता थी. सज्जाद भाई की मेहनतों से अच्छा ख़ासा हो गया है.
महमूदुल हसन साहब सोज़ पढ़ते हुए 

13 दिसंबर 2010

चाँद भाई सिपुर्दे ख़ाक

 आज मरहूम असग़र अब्बास जिनेह लोग चाँद भाई कह कर बुलाते थे करारी की कर्बला में नमाज़े ज़ोहरैन के बाद सिपुर्दे ख़ाक कर दिया गया. नमाज़े जनाज़ा मौलाना सय्यद हसनैन करार्वी ने पढाई. तशीए जनाज़ा काफी मोमिनीन मौजूद थे. आप से गुज़ारिश है की उनकी  रूह को एक सुरह फातेहा पढ़ कर बख्श दें.
नमाज़े जनाज़ा की तय्यारी 

जाफरपुर महावं में शबीहे ज़ुल्जनाह बरामद हुईं

करारी से नौ किमी दूर जाफरपुर महावं में सनीचर ४ मुहर्रम को रात 8 बजे शबीहे ज़ुल्जनाह बरामद हुए. उस से क़ब्ल मजलिसे अज़ा बरपा हुई जिस में मुस्तफाबाद से आए ज़ाकिर (जो महावां के दामाद भी हैं ) ने आधा घंटा फ़ज़ाएल पढने के बाद आधा घंटा का मसाएब  पढ़ा. गाँव वाले बग़ैर तफ्रीके मस्लको मज़हब कसीर तादाद में मौजूद  थे. यह जुलूस नौहा और मातम करता  हुआ   देर रात 2  बजे तमाम हुआ. इस मजलिसो जुलूस से पहले बाबू साहब की जानिब से मजलिस हुई थी. चूँकि इमामबाडा ऊंचाई पर है इस लिए ठंडक भी ज़्यादा थी. महावां में रोजाना तीन मजलिसें होती हैं. ट्रांसफार्मर जल जाने की वजह बिजली नहीं आ रही थी.
जाकिर मजलिस पढ़ते हुए 

तालाबपर में यूसुफ़ साहब के इमामबाड़े में मजलिस

मौलाना ज़मीर हैदर साहब मसेब पढ़ते हुए 
चार मुहर्रम को करारी पहुँचने पर पहली मजलिस तालाबपर की मिली. जनाब यूसुफ़ साहब के इमामबाड़े पर यह मुस्तकिल अशरा मुनाकिद हो रहा है. चार मुहर्रम को जनाब अली अकबर (अ.स.) के शबीहे ताबूत बरामद होते हैं. शेरू ने एक तवील नौहा पढ़ा उसके बाद एक और नौजवान ने उससे भी तूलानी नौहाखानी की. मजलिस मौलाना ज़मीर हैदर साहब ने पढी. तबर्रुक में दो  दो तंदूरी रोटियाँ तकसीम हुईं.

12 दिसंबर 2010

असग़र अब्बास साहब का इन्तेकाल


करारी में आज सुब्ह डिप्टी साहब के इमामबाड़े में मजलिस शुरू होने से पहले इओ खबर आई की फतेहपुर में बेरोई के असग़र अब्बास साहब का इन्तेकाल हो गया है. मरहूम मौलाना सय्यद हसनैन करार्वी के बड़े भाई थे. 76 साल की उम्र थी. उनका जसदे खाकी करारी लाया गया है. कल ग्यारह बजे के बाद उनकी तद्फीन करारी की कर्बला में होगी.

अन्डेहरा में अज़ादारी

करारी से अन्डेहरा तकरीबन ६ किमी है. यह एक छोटा सा गाँव है. लेकिन यहाँ अज़ादारी बड़ी शान ओ शौकत से होती है. इमामबाड़ा खूबसूरत और शहर जैसा. साफ़ सुथरा, सजा हुआ. बाहर सहेन में बैनर लगे हुए. बारह रोज़ तक जेनेरटर से बिजली. गली कूचों में रौशनी. मजलिस पढने के लिए जाकिर आये हुए. रोजाना जुलूस. नज्र का माकूल इंतज़ाम. इसी तराइ haiह वहां से दो किमी करीब में दर्यापुर मंझ्यावान है. वहाँपर भी इसी तरह की रौनक. सभी मज़हब ओ फिरके के लोग इमाम हुसैन (अ.स.) की याद में ग़म मनाते हैं और आंसू बहाते हैं.
अन्डेहरा का इमामबाड़ा 

करारी में मुहर्रम

हर साल यही कोशिश रहती है की मुहर्रम का पहला अशरह  करारी में गुज़रे, जिसने भी अय्यामे अजा अपने वतन में गुज़ारा वोह वहीँ का हो गया. लोग अपने गाँव में मुहर्रम करना इस लिए पसंद करते हैं क्यूंकि वहां दस रोज़ Full Time मजलिसें करने को मिलती हैं. मजलिस का सिलसिला नमाज़े सुब्ह से शुरू होता है तो रात तकरीबन 11 बजे तक जारी रहता है. शहरों में लोग अपने कामकाज में भी जुटे  रहते हैं और शाम को दफ्तर के बाद एक या दो मजलिस कर लेते हैं. इसे लोग Part Time  मुहर्रम कहते हैं. इस साल करारी के लिए तीन मुहर्रम को बॉम्बे से  निकले. चार मुहर्रम को इलाहबाद पवन से पहुंचे. सफ़र  अच्छा गुज़रा. वजीर मांमुं  के सब से छोटे फ़रज़न्द शम्स भी उसी ट्रेन में थे. तालाब्पर के रिजवान अपनी मारुती लाए थे शम्स को  अन्डेहरा लेजाने के लिए. शम्स ने अन्डेहरा होकर करारी जाने की दावत दी.  हम ने कबूल कर ली. साथ में दो नौजवान भी  थे. उन्हें भी गाँव के  मुहर्रम का शौक़ था. रिजवान अच्छी गाडी  चलाते हैं. तकरीबन रोजाना  वोह  करारी - इलाहाबाद के दरमियान सवारी लाते लेजाते हैं. उनसे 09335890316 राबता किया जा सकता है.

10 दिसंबर 2010

इमाम हुसैन (अ.स.) पर गिरया.

रसूले इस्लाम (स.अ.) इमाम हुसैन (अ.स.) के बारे में फरमाते हैं :
अल्लाह उसे दोस्त रखता है जो हुसैन को दोस्त रखे.
हुसैन मुझ से है और मैं हुसैन से हूँ
यह हसन और हुसैन जन्नत के नौजवानों के सरदार हैं.

    07 दिसंबर 2010

    निशाने बाज़ी में ज़ोरारह रिज़वी को कांस्ये का तमगा


    रिजवी कॉलेज मुंबई की पिस्तोल शूटिंग की टीम की तरफ से खेलते हुए अली ज़ोरारह ने कांस्ये पदक जीता . उनकी टीम में तीन अफराद शामिल थे. दस मीटर के इस प्रतियोगिता में तीसरे नंबर पर आये. माई करारी उनको मुबारकबाद पेश करती है और दुआ करती है की निशाने बाज़ी की दुनिया में ज़ोरारह अव्वल नंबर रहें और कौम का नाम उंचा करें. 

    04 दिसंबर 2010

    मीर अनीस के मर्सिये का बंद

    यह मर्सिये का बंद मीर अनीस का है. यह पत्थर करारी के छोटे तालाब पर के इमामबाड़े में नस्ब है.  

    01 दिसंबर 2010

    करारी के नौजवान शाएर: रिजवान

    कम सुखन, खामोश तबियत, खोदा तर्स और खुश अखलाक, यह हैं इस नौजवान शाएर की सिफात. बॉम्बे में नौ साल बैंक में मुलाज़मत करने के बाद रिजवान इस्तीफा देकर करारी आ गए और करारी की बाज़ार में एक छोटी सी जूता और चप्पल की दूकान खोल ली. शैरी भी करते रहे मगर अभी करारी वालों ने उनके ख़याल नहीं सुना. एक दो महफिलें की हैं. इरादे बुलंद हैं. अल्लाह इन्हें कामयाब करे. असल गाँव इनका दर्यापुर मंझ्यावान है और शेर हमदर्द इलाहाबादी के नाम से कहते हैं.
    लिजीये आप खुद उनकी ज़बानी सुनें. चूंके दूकान के करीब भजन कीर्तन का प्रोग्राम हो रहा था इस लिए आप को तवज्जो से सुनना होगा.