31 दिसंबर 2011

अंजुमन का नाम और बैंक अकाउंट नंबर


करारी की 8 रबीउल अव्वल का जुलूसे अमारी आलमी पैमाने पर शोहरत हासिल कर रही है. लोग तमन्ना रखते हैं के काश वोह भी इस तकरीब में हाज़िर होते और नौहाओ मातम में शरीक होते.
करारी से दूर रहने वाले अफराद ऐसे भी हैं जो पहले से छुट्टी की दरखास्त दे देते हैं और ट्रेन में अपनी सीट बुक करवालेते हैं.
यह मोहब्बते इमाम हुसैन (अ.स.) है. और साथ ही अपने वतन की सरज़मीन से लगाओ.
इसी लिए  अंजुमने अस्गरिया, करारी, जो इस जुलूस का एहतेमाम करती है, ने फैसला किया है की जो मोमिन इस जुलूसे अमारी में ज़ाहेरी तौर पर शिरकत न कर सकता हो वोह कम से कम अंजुमन को माली तौर पर  मदद कर सके.
अंजुमन का नाम और बैंक अकाउंट नंबर दिया जा रहा है ता के वोह भी इस कारे खैर में हिस्सा ले सकें.

ANJUMAN-E-ASGARIYA
Bank of Baroda, Karari,
a/c no. 29710100010712
IFSC - B A R B - KARARI
 Kaushambi (U.P.) INDIA
For detail contact: Babban bhai, Mobile: 09792634198

30 दिसंबर 2011

आह! हामिद चचा

यह मरसिया "इल्मो अमल" के उन्वान से मरहूम सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी ने मरहूम वालिदे अल्लाम सय्यद गुलाम हसनैन करारवी के चेहलुम पर करारी शिया जामे मस्जिद में पढ़ा था.
यह मरसिया मशहूर मरसिया निगार जनाब उम्मीद फाजली का है. जिस खूबसूरत अंदाज़ से हामिद चचा मरहूम ने पढ़ा है वोह काम उम्मीद फाजली खुद न कर सके.
वालिदे अल्लाम का चेहलुम फ़रवरी 1996  में हुवा   था.
मरसिया सुनने के बाद मरहूम को सुरे फातेहा से नवाजना न भूलें और आज नमाज़े वहशत पढना फरामोश न करें.
तद्फीन आज दर्याबाद, इलाहाबाद में शाम साढे 4 बजे के आस पास होगी.


सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी साहब का इन्तेकाल



आज सुबह 3 बजे जनाब सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी साहब का इलाहाबाद में इन्तेकाल हो गया. तद्फीन की तफसील का इंतज़ार है. उनके छोटे भाई मुख्तार रिज़वी से 08127653123  पर राबता किया जा सकता है.

29 दिसंबर 2011

दुआ की Urgent दरखास्त

हामिद चचा की तबियत कुछ ज्यादा सिरिअस होगई है.
आप लोग उनकी सेहत के लिए " अम्मैं योजीबुल मुज्तर्रा इजा दआ हो व यक्षेफुस सू " पढ़ें.
वह इलाहबाद में ICU में दाखिल हैं और घर के तमाम अफराद उनके पास मोजूद हैं.

24 दिसंबर 2011

क्या आप आठ रबीउल अव्वल के जुलूस के लिए तैयार हैं?


जो मोमिनीन दूर दराज़ से जुलूसे अमारी में शिरकत के लिए करारी आना चाहते हैं वोह अपना रिज़र्वेशन करवा लें. अल्लाहाबाद में कुम्भ मेले  की आमद है.
यह याद रहे की जुलूसे अमारी का प्रोग्राम सफ़र महीने के 29 के चाँद के मुताबिक होता है.
मौसम में ठंडक के आसार इस साल ज्यादा होंगे, लिहाज़ा गर्म कपडे के एहतिमाम के साथ करारी तशरीफ़ लाएं.


22 दिसंबर 2011

करारी में ठंडक

दो करारवी सर्दी से बचने के लिए कहकशां होटल में पनाह लिए हुए

मुंबई के बांद्र पूर्व इलाके में 25 मुहर्रम के मौके पर जुलूसे अजा

25 मुहर्रम को चौथे इमाम, हज़रत इमाम अली इब्निल हुसैन, जो सय्येदुस साजेदीन और जैनुल आबेदीन के लक़ब से जाने जाते हैं की शहादत के मौके पर बांद्रा के खेरवाडी इलाके से नमाज़े मग्रेबैन पढ़ कर उनकी याद में एक जुलूसे अजा बरामद हुआ. पहली मजलिस मौलाना जाकी साहब ने पढ़ी और आखरी मजलिस मौलाना हसनैन करारवी ने. निजामत के फराएज़ जनाब उम्मीद आज़मी ने अंजाम दिए
मौलाना ज़की साहब पहली मजलिस पढ़ते हुए.

उम्मीद आज़मी साहब निजामत करते हुए.


विडिओ में आखरी मजलिस से पहले हसन इलाहाबादी अपना नजराने अकीदत पेश करते हुए.

12 दिसंबर 2011

करारी के ओलामा के खिलाफ साज़िश का पर्दा फाश

करारी में चंद शरपसंद अनासिर, फासिक और बेदीन अफराद ने करारी के ओलामा को बदनाम करने की साजिश रची थी जिस का पर्दा फाश हो गया.
एक जय्यिद और बुज़ुर्ग आलिम दीन के नाम से मुहर्रम से पहले एक परचा छपवाया. इस परचे में महीनी यह थी के इसमें पहले करारी में निकलने वाले जुलूस की फेहरिस्त थी और आखिर में एक नोट लगी हुई थी.
यह नोट करारी के एक बुज़ुर्ग आलिम की तरफ मंसूब थी. इस आलिम के पीछे बहुत दिन से लोग ताक में लगे थे क्यूंकि यह मिम्बर पर अक्सर हक और खरी खरी बात करता था. मिम्बर से हक बात कहने में अपनी औलाद को भी नहीं बख्शा.

नीचे दर्ज अहेम नुक्तों ने इन शर पसंद अफराद की साज़िश को बेनकाब करदिया.

1 - इस आलिम के Rizvi खानदान से इतने अच्छे ताल्लुकात थे (9 मुहर्रम की रिज़वी कॉलेज की मजलिस इन्हीं से पढवाई जाती है) की अगर उन्हें इतनी बड़ी बात कहनी होती तो पहले वोह राबता करते और तस्दीक करते. इसी 9 मुहर्रम को वोह खुश अख्लाकी से कॉलेज के बंगले पर मिले.

2 - दूसरा यह इतना बुज़ुर्ग आलिम जो हव्ज़ाए इल्मिया से Retire हुआ हो और अपनी ज़िन्दगी दरसे अखलाक देने में गुजारी हो वोह कभी इतनी ओछी, पस्त और गिरी हुई बात नहीं कर सकता. इस आलिमे दीन को पता है किसी इलाके में रहने वाला अगर अपनी बस्ती के जुलूस या मजलिस के बारे में जानकारी नहीं रखता तो वोह कोई ऐब नहीं है. बहुत से अफराद ऐसे हैं जो शहरों में रहते हैं और  अपनी बस्ती की तफ्सीलात नहीं जानते, लेकिन अपने इलाके से जुड़े हुए हैं और अपनी बस्ती की तरक्की के लिए अस्पताल, स्कूल और कॉलेज तामीर करने के काम करते हैं जिस से लोग अपना निजी फ़ाएदा भी उठाते हैं और चंदा भी ले जाते हैं.

3 - सब से बड़ी दलील इस परचे के पीछे मुजरिमाना ज़िन्दगी गुज़ारने वालों की यह है के उन्हों ने ऐसे आलिमे दीन के नाम से मंसूब किया है जिसने अपनी दीनी तालीम लखनऊ या बनारस में नहीं हासिल की बल्कि नजफे अशरफ के बड़े बड़े अयातुल्लाह और मराजे किराम से दरस हासिल किया. और यह आलिमे दीन इतनी बात ज़रूर जानता है की अपनी बस्ती के मुहर्रम की मजलिस और जुलूस की तफ्सीलात न जान्ने वाला "शिय्यत से खारिज" नहीं हो सकता, क्यूंकि यह अक्ल और शरीअत के मनाफ़ी है.

4 - यह भी जानकार आप लोगों को हैरत होगी की इस handbill को जिस आलिमे दीन से मंसूब किया उसके नाम के साथ उसकी दस्तखत (signature ) भी नहीं है. बिला दस्तखत कोई भी परचा किसी रद्दी की जीनत ही बन सकता है.

शरपसंदों की तरफ से करारी तकसीम किया गया परचा.

10 दिसंबर 2011

कमर अब्बास इब्ने गुलज़ार हुसैन का इन्तेकाल



आज शाम 4 बजे एक तवील अरसे से अलील जनाब कमर अब्बास इब्ने गुलज़ार हुसैन अपनी बीमारी से लड़ते हुए इस दारे फानी से कूच कर गए.
मरहूम करारी शिया जामे मस्जिद के मेनेजर जनाब शमीम हैदर साहब (छोक्कन) के बहनोई थे.
तद्फीन इंशा अल्लाह कल दोपहर 2 बजे दिन में करबला में होगी.
जो हजरात तद्फीन में न पहुँच सकें तो वोह मरहूम के ईसाले सवाब के लिए एक सुरह फातेहा पढ़ें और कल नमाज़े मग़रिब और इशा के दरमियान नमाज़े वहशत बजा लाएं.
मजीद जानकारी के लिए शमीम हैदर साहब से राबता किया जा सकता है. 09307542923

06 दिसंबर 2011

अम्बही के मैदान में आमाले आशूरा


बरसों से करारी में आशूर के रोज़ अम्बाही में आमाले आशूरा का एहतिमाम किया जाता है. वैसे तो यह आमाल तलाबपर, कर्बला और दीगर मकामात पर भी होते हैं लेकिन अम्बाही में लोग कसीर तादाद में शिरकत करते हैं.

अज़ादार  अम्बाही  में  आमाले  आशूरा  अदा  करते  हुए

अली मंजिल में मजलिसे अजा


मुहर्रम की नौ तारीख को हर साल अली मंजिल में मग़रिब की नमाज़ के बाद मजलिस होती है. इस साल इस मजलिस का आगाज़ केसन की सोज़ खानी से हुआ. जावेद रिज़वी ने जोश मलीहाबादी का मर्सिया पढ़ा और मौलाना मुन्तजिर अब्बास रिज़वी ने खेताब फ़रमाया.
नौहा और मातम पर मजलिस तमाम हुई.

बड्दन भाई के घर पर सालाना मजलिस


शाम चार बजे नजीर अब्बास उर्फ़ बड्दन के घर पर नौ मुहर्रम को हर साल की तरह इस साल भी एक मजलिस बरपा हुई.
केसन ने सोज्खानी की, हुसैन भाई ने मजलिस पढ़ी जिस का उन्वान था सलवात की फजीलत. मजलिस के बाद नाज़िर हुसैन ने नौहा पढ़ा.

केसन सोज़ पढ़ते हुए

आज 9 मुहर्रम को करारी में अज़ादारी

आज  नों मुहर्रम को कोई जुलूस नहीं बरामद हुआ.
सिर्फ नमाज़े जोहर के बाद अहाता में गहवारा निकला गया.
रिज़वी कॉलेज में सालाना मजलिस हुई. हुसैन भाई ने निजामत के फराएज़  अन्जाम इस शेर से दिया.
अजब  मजाक था इस्लाम की तकदीर के साथ 
कटा हुसैन का सर नारए  तकबीर  के साथ
अबू मोहम्मद ने अपने चहेते शाएर जनाब पयाम आज़मी साहब का मुसद्दस बड़े जोशीले अंदाज़ से पढ़ा.
मजलिस जनाब मौलाना ज़ोहैरकैन साहब ने पढ़ी. उन्हों ने एक बहुत अहेम बात कही और कहा की मजलिस से क़ब्ल माइक  पर बानी मजलिस बहुत जोर नौहे का केसिट लगा देते हैं यह मुनासिब नहीं है. यह तफरीह है. अज़ादार अपनी कार में नौहा ऊँची आवाज़ में लगाए घुमते हैं. यह ठीक नहीं  है.
मजलिस के बाद हुसैन भाई ने मुख़्तसर  सा  नौहा पढ़कर  ज़िआरत   पर प्रोग्राम  को इख्तेताम  तक  पहुँचाया .
Rizvi  College Hall


05 दिसंबर 2011

करारी में आठ मुहर्रम के कुछ ख़ास प्रोग्राम

आठ मुहर्रम नमाज़े ज़ोहरैन के बाद रेहान भाई के घर से जुलूसे अजा बरामद होता है. यह खरकापर तक जाकर उनके दौलत खाने पर पलट कर आता है. शबीहे ज़ुल्जनाह भी जुलूस के साथ साथ रहता है.  मुख्तलिफ साहिबे बयाज़ नौहा खानी करते हैं. इन में करारी के मशहूर साहेबे बयाज़ जनाब हीरा साहब और जामिन अब्बास अपनी दर्द भरी आवाज़ में लोगों की आँखों में आंसू ले आते हैं.
उसके बाद शब् में रेहान भाई अपने दौलत कदे   पर नजर का इंतज़ाम भी करते हैं.
दिन में नमाज़े जोहर से क़ब्ल नाच घर पर शमीम हैदर उर्फ़ छोक्कन भाई के मकान पैर मजलिसे अजा बरपा हुई जिसमें मौलाना अख्तर रिज़वी ने खिताबत की. उसके बाद नौहाओ मातम हुआ. नमाज़ के बाद नजर का एहतेमाम भी था.
आठ मुहर्रम को ही करारी से करीब सरय्याँ गाँव में भी मजलिसओ जुलूस का सिलसिला था.

जुलूस खरकापर की तरफ  जाते  हुए 

04 दिसंबर 2011

सात मुहर्रम का जुलूस

कल 7 मुहर्रम थी. महल पर मोहल्ला से जुलूसे अजा तकरीबन 3 बजे दोपहर बरामद हुआ. शबीहे ज़ुल्जनाह हमराह था. कई अदद नौहे पढ़े गए.
यह जुलूस करबला में तमाम हुआ. इस जुलूसे के रूहे रवां जनाब गुलाम पंजतन काफी एहतेमाम करते हैं. ठीक मगरिब की नमाज़ के वक़्त जुलूस करबला पहुंचा और वहां से दोबारा महल पर पलटा.
बच्चे और नौजवानों  ने पुर जोर मातम किया.
करारी की कर्बला 

03 दिसंबर 2011

फाटक में शबीहे ताबूत

फाटक का  इमामबाडा बहुत क़दीम है. यहाँ पर हिन्दोस्तान के बड़े बड़े जाकेरीन ने खिताबत की है. इस साल मरहूम हिदायत हुसैन उर्फ़ हिद्दन के फरजंद की ज़िम्मेदारी है की वोह मजालिस को बरपा करें. वोह कर भी रहे हैं.
मौलाना जवाद हैदर साहब ज़ाकरी फरमा रहे हैं. आज रात फाटक से शबीहे ताबूत बरामद होंगे.
मौलाना जवाद हैदर साहब खिताब करते हुए.
     

कर्बला की जानिब जाने वाला जुलूसे अजा

छे मुहर्रम को अकील अब्बास के घर से (चमन गंज) कर्बला के लिए दो  पहर ३ बजे जुलूस अजा बरामद होता है.
इस जुलूस में शबिहे ज़ुल्जनाह भी साथ होता है.
अंजुमन की कोई क़ैद नहीं है. साहेबे बयाज़ नौहा पढ़ते हैं और अज़ादार मातम करते हुए कर्बला कि जानिब बढ़ते हैं.
इस का शुमार  क़दीमी जुलूस में होता है. मरहूम एजाज़ अब्बास उर्फ़ मुन्ने साहब बहुत एहतिमाम किया करते थे. अब भी यह बड़ी शानो शौकत से बरामद किया जाता है.
सूरज डूबते ही अपनी मंजिल कर्बला पहुँच जाता है.
कर्बला में इदारे इस्लाम की जानिब से जनाब राशिद रिज़वी के जेरे इंतज़ाम चाय की सबील लगती है. चाय की इस  सबील की शुरूआत मरहूम सय्यद  गुलाम हसनैन करारवी ने तकरीबन 18 साल पहले की थी. पहले यह चाय अबुल हसन की चक्की के आगे बनी जाती थी. लेकिन जब इस की तकसीम से जुलूस में बाधा आने लगी तो इसे कर्बला में मुन्ताकिल कर दिया गया.
पहली से दस मुहर्रम में कर्बला में ख़त्म होने वाले चार जुलूस हैं.
मुहर्रम की पांच, छे, सात और रोज़े आशुरा का जुलूस.
हज़रत अब्बास (अ.स.) की दरगाह 
चाय का एहतिमाम 

02 दिसंबर 2011

इमामबाडा रोशन अली में जोलूसे गहवारा

इमामबाडा रोशन अली में हर 6 मुहर्रम को 70  साल से शबीहे गह्वारए हज़रात अली असग़र बरामद होते आ रहे हैं.
आज की मजलिस मौलाना मुन्तजिर महदी ने पढ़ी. मजलिस के बाद एक ही नौहा पढ़ा जा सका क्यूंकि जुमा का रोज़ था, नमाज़े जुमा ज़वाले आफ़ताब की वजह से 11 .45  पर अज़ान होनी थी.
मौलाना मुन्तजिर मजलिस पढ़ते  हुए  

छे मोहर्रम: करारी में हस्बे प्रोग्राम अज़ादारी

आज मोहर्रम की 6 तारीख़ है. पहली मजलीस डिपुटी साहब के इमाम बाड़े में मौलाना ज़ोहैर कैन साहब ने पढ़ी.
दूसरी मज्लिस सवा आठ बजे बड़े दरवाज़े के इमाम बाड़े में हुई उसके बाद दौरे की दीगर मजालिस हुईं.
सवा दस बजे इमामबाडा रौशन अली में गहवारे की मज्लिस शुरू हो गई है. पहले तूसी रिज़वी ने कुरआन करीम की तिलावत की. अब उसके बाद सोज़ खानी का सिलसिला जारी है. महमूदुल हसन साहब अपने मखसूस और दिल्सोज़ अंदाज़ में पढ़ रहे hain.
जावेद रिज़वी ने अब इत्तेहाद पर  मुसद्दस पढना शुरू कर दिया है.

30 नवंबर 2011

करारी की मज्लिसें

इस्लामी तारीख़ के हिसाब से 1433 का आज चौथा दिन है. करारी में अब शहर से लोग आना शुरू हो जायेंगे. ज़ाकेरीन की तादाद इस साल अच्छी है.
सुबह 10 बजे रोशन अली के इमामबाड़े (बरगद) में मौलाना मुन्तज़िर महदी का बयान होता है.
मग्रिबैन के बाद  फाटक की मजलिस मौलाना जवाद  हैदर (जूडी) पढ़ रहे हैं.
रात ही में चौधरी के इमाम बाड़े में मौलाना शमीम रज़ा साहब जाकरी कर रहे हैं और रात की आखरी मजलिस खरकापर में मौलाना ज़ोहैरकैन साहब की खिताबत होती है.
बकिया तफसील करारी पहुँच कर. 

27 नवंबर 2011

आशिके शब्बीर दहशतगर्द होता ही नहीं

जिसकी   आँखें  हों  गमे   करबो बला  के  वास्ते
वोह  कभी  इरफान अपने  गम  प  रोता  ही  नहीं
दर  हकीकात  येह  गमे  शब्बीर  क  एजाज  है
आशिके   शब्बीर   दहशतगर्द   होता   ही  नहीं

21 नवंबर 2011

मरहूम पंजतन की तद्फीन आज दो बजे दिन में

 मरहूम पंजतन की तद्फीन आज दोपहर दो बजे करारी कर्बला में होगी.
एक तूलानी बीमारी के बाद कल घर पर इन्तेकाल हो गया था.
आप से नमाज़े मग़रिब के बाद मरहूम के लिए नमाज़े वहशत की दरख्वास्त है.
मरहूम पंजतन इब्ने काजिम हुसैन.

19 नवंबर 2011

मरहूमा ततहीर फातेमा की मजलिसे बरसी

कल इतवार 20 नवम्बर को  मरहूमा  ततहीर फातेमा की पहली बरसी के मौके पर मीरा रोड की महफिले पंजतन में मजलिसे अजा का इनएकाद किया गया है.
मौलाना सय्यद हसनैन करार्वी साहब जाकेरी फरमाएंगे.
सुबह 10 बजे कुरआन खानी के बाद मजलिस शुरू हो जाएगी
आप लोगों से शिरकत की दरखास्त है.
मजीद मालूमात के लिए 9969153744 पर साहबजादे साहब से राबता किया जा सकता है. 

17 नवंबर 2011

हुसैन आलम के मकान पर महफिले ग़दीर

husain aalam apna kalaam pesh karte hue
ईदे ग़दीर की मुनासेबत से मंगल को रात 9 बजे मीरा रोड, मुंबई  में हुसैन आलम के दौलत खाने पर महफिले मक़सिदा का इनेकाद कियागया. जिस मोमिनीन ने अच्छी तादाद में शिरकत की.

मीरा रोड के शाएरों के अलावा मेहमान शाएरों ने भी शिरकत की.
इर्ला से सादिक रिज़वी तशरीफ़ लाए थे. शमीम अब्बास ने भी अपने कलाम से नवाज़ा.
हसन करारवी ने सामईन से बहुत दाद बटोरी.
यह महफ़िल गुज़िश्ता तीन बरसों से ग़दीर के रोज़ हो रही है.
जिन लोगों ने अपना कलाम पेश किया उन्हें तहाऍफ़  से नवाज़ा गया.
हुसैन आलम साहब अक्सर अपने घर पर इस किस्म की तक्रीबात रखते हैं. अल्लाह उनकी तौफिक़ात में इजाफा करे.
ज़मज़म पुलाव बहुत शानदार रहा.

15 नवंबर 2011

इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन

करारी के करीब, अतरसुय्या के रहने वाले हाजी सादिक अब्बास का आज सुबह इन्तेकाल हो गया. मरहूम तकरीबन 80 बरस के थे.
कल इंशाअल्लाह उनके आबाई गाँव अतर सुय्या में तद्फीन होगी.
मरहूम के दो फरजंद, हैदर अब्बास (हद्दू) और मोहम्मद अब्बास हैं.
एक सुरह फातेहा की गुज़ारिश है.

खेल के मैदान में


30 अक्तूबर 2011

मरहूम सय्यद हैदर महदी रिज़वी की 21 वीं बरसी



दरयापुर मंझ्यावा के मरहूम सय्यद हैदर महदी रिज़वी (आफताब) को 21 साल पहले मध्य परदेश के जबलपुर शहर में मस्जिद में जाफरानी दहशत गरदों ने  शहीद कर दिया. 
तारिख थी 30 अक्तूबर 1990  .
मरहूम की तद्फीन जबलपुर में ही 3 नवम्बर को  कर दी गयी.
मरहूम की इक्कीसवीं बरसी पर आप से  एक सूरा फातेहा की दरख्वास्त है.  

21 अक्तूबर 2011

मोहम्मद हुसैन मरहूम की मजलिसे चेहलुम

मोहम्मद हुसैन मरहूम मोहम्मद युसूफ की 23 अक्टूबर को  मजलिसे चेहलुम मुनाकिद की गई है. 
इस मजलिस को जनाब मौलाना एहसान हैदर जवादी साहब खेताब फ़रमाएंगे.
सुबह 10  कुरआन खानी के बाद मजलिस शुरू हो जईगी. पता है:
महफिले पंजतन, विशाल नगर, पंचवटी होटल के करीब, अम्बादी रोड, वसई (पश्चिम).
मजीद मालूमात के लिए 09881444658 पर राबता किया जा सकता है.   

20 अक्तूबर 2011

जश्ने अबू तालिब को सिर्फ तीन दिन बाकी

 करारी कोशाम्बी में जश्ने अबू तालिब को सिर्फ तीन दिन बाकी हैं. यह प्रोग्राम 23 अक्टूबर को होने वाला है जिसमें मुल्क के नामवर शाएर तशरीफ़ लाएंगे. 
आप भी अपने दोस्त एहबाब के साथ शरीक हूँ.
अंजुमने महदिया, करारी की जानिब से यह महफ़िल बहुत बड़े पैमाने पर मुनाकिद की जाती है.
इस में करारी जवान बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.

11 अक्तूबर 2011

तीन बातें सिखाओ

नबी (स) ने फ़रमाया: 
  • अपनी औलाद को तीन बातें सिखाओ।:
  • अपनी नबी (स) की मुहब्बत। 
  • अपने नबी (स) की आल की मुहब्बत। 
  • क़ुरआने मजीद की तिलावत।

03 अक्तूबर 2011

मोहम्मद हुसैन साहब का इन्तेकाल


रात  3.40 बजे अग्योना के मोहम्मद हुसैन साहब का बम्बई के वसई अस्पताल में ICU  में इन्तेकाल हो गया. आप की उम्र तकरीबन  70 साल थी. 
मरहूम मोहम्मद हुसैन इब्ने युसूफ हुसैन, zainabia  में काम कर रहे  तनवीर के वालिद थे. 
तद्फीन मीरा रोड के कब्रस्तान, बेहिश्ते ज़हरा में आज 2 बजे दिन में होगी.
आप मरहूम के ईसाले सवाब के लिए एक सूरा फातेहा पढ़ें और नमाज़े मग़रिब के बाद नमाज़े वहशते कब्र पढना न भूलें.
मजीद मालूमात के लिए 09322264666  पर फोन कर सकते हैं. 

27 सितंबर 2011

करारी में शादियों का मौसम आ रहा है?

करारी में अगले महीने यानि अक्टूबर में कई अदद शादियाँ होंगी. ज़िल्हिज का महीना रहेगा. साथ ही दिवाली की छुट्टियां भी होने वाली हैं. मौसम भी सोहना रहेगा. अगर कोई शिरकत करना चाहता है (दावत नामह मिलने पर) तो उसे कम से कम बीस दिन की छुट्टी लेना पड़ेगी. 
इन तक्रीबात का सिलसिला करारी में जश्ने अबू तालिब से शुरू होगा जो 23 अक्टूबर को है. यह प्रोग्राम हर साल अंजुमने महदिया करती चली आ रही है.
इस अंजुमन के रूहे रवां जनाब फुरकान साहब है. इस महफिले मकासिदा में कोई मकामी शाएर नहीं होता बल्कि सब मेहमान शाएर अपना कलाम पढ़ते हैं. 

15 सितंबर 2011

सेहत के लिए दुआ की गुज़ारिश

अग्योना के जनाब मोहम्मद हुसैन, मुंबई के वसई इलाके में रहते हैं. 2 रोज़ पहले उन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई तो उन्हें वसई गाँव के ओम नर्सिंग होम में ICU में दाखिल किया गया. 
आप लोगों से गुज़ारिश है की उनकी सेहत्याबी के लिए "अम्मईं योजीब" पढ़ें.  
मोहम्मद हुसैन साहब, जैनबिया में काम कर रहे तनवीर के वालिद हैं.
मज़ीद जानकारी के लिए आप तनवीर से 09882444658 पर फ़ोन कर सकते हैं.  

13 सितंबर 2011

तीन बारात और दो अमवात

गुज़िश्ता आठ दिन करारी के लिए ख़ुशी और गमी के दिन थे, तीन बारात और दो अमवात. बेरुई के मौलाना हसनैन करारवी के फरजंद की बारात badaunpar  से मोहल्ला शरीफाबाद गई.
मौलाना हसनैन साहब  के बड़े भाई मासूम आलम के फरजंद की बारात करारी से करेली गई और मरहूम मंज़ूर हसन रिज़वी के नवासे, रिजवान इब्ने जियारत हुसैन की बारात करेली में Hira Palace पहुची. रात इसी शादी का वलीमा करेली के अम्बर पैलेस में हुआ. 
इन  आठ दिनों में चार दिन बारिश ने लिए. दो दिन बिजली के मसाएल रहे. जब तक पानी बरसता है मौसम अच्छा रहता है, लेकिन बाद की हालत काबिले बयान नहीं है.
सितम्बर के महीने को पश्चिमी  यूं पी वाले सितमगर कहते हैं. इस महीने में यू पी के गाँव में कोई तकरीब रखना इन्तेकाम लेने के बराबर है, गर्मी से दूल्हा के अलावा सब परेशान रहते हैं.
इस सितम्बर के महीने में मौसम के उतार चढ़ाव की वजह से अक्सर लोग बीमार हो जाते हैं. डाक्टरों का यह कमाई का सीज़न है.
चुंके यहाँ बम्बई की तरह मुसलसल बारिश नहीं होती इस वजह से अवाम छाता लेकर घर से बाहर नहीं निकलती. थोड़ी देर बरसते हैं. लोग कहीं भी पनाह ले लेते हैं.
बिजली की सहूलत की वजह से हाथ के पंखों का भी रवाज ख़त्म हो रहा है, अब लोग अखबार और रुमाल का इस्तेमाल करते हैं. घर में इनवर्टर ने ज़िन्दगी का निजाम बदल दिया है.

09 सितंबर 2011

हुसैन भाई को मुबारकबाद

ऐनुर रज़ा (हुसैन भाई) की बेटी की शादी  कल रात मोहम्मद रिज़वी के हमराह करारी में हो गयी. मोहम्मद मौलाना सय्यद हसनैन रिज़वी के फरजंद हैं. 
निकाह, करारी जामे मस्जिद में नमाज़े मग्रेबैन के बाद हुआ. दूल्हा के वकील मौलाना रज़ा haider थे और दुल्हन की जानिब से मौलाना मंज़र सादिक साहब थे.
अल्लाह इस जोड़े को सलामत रखे.

08 सितंबर 2011

इन्नालिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन

कल कराची पाकिस्तान में अशरफ भाई, सज्जाद भाई और ताहिर भाई की बड़ी बहेन, तौकीर फातेमा बिन्ते  अजहर हसन का इन्तेकाल हो गया और आज जोहर  के बाद  वादी  हुसैन  में  तद्फीन  हो  गई. आप लोगों से एक सुरे फातेहा और नमाज़े वहशत की दरख्वास्त है. 
और जानकारी के लिए 09769558264 पर contact किया जा सकता है

जश्ने अबू तालिब. की तय्यारी ज़ोरोशोर से

जश्ने अबू तालिब. की तय्यारी ज़ोरोशोर से. अंजुमने  महिद्य  गुज़िश्ता  3 बरसों  से अक्तूबर के महीने में जनाब अबू तालिब  (अ.स.) की शान में जश्न का एहतिमाम करती आ रही है.
जिस में मुल्क के नामवर शेर और मोक़र्रीर तशरीफ़ लाते हैं.
इस साल इस जश्न की निजामत अहमद बिजनौरी करने वाले हैं. यह जश्न कोशाम्बी जिले की सब  से  आला  तकरीब  है.
मौलाना राज़ी हैदर साहब की तक़रीर होगी.
मजीद मालूमात के लिए 09389337354 पर अज़ादार हुसैन से ली जा सकती है
कल दरयापुर  मंझ्यावान में जन्नतुल बाकी के इन्हेदाम पर एहतेजाज करते हुए एक जुलूस निकला गया. यह जुलूस तकरीबन दस बरसों से बरामद हो रहा है. इलाहाबाद और कोशाम्बी जिले के मोमिनीन इस तकरीब में शिरकत करते हैं. 

06 सितंबर 2011

कर्बला कब्रस्तान में आज अली हैदर की तद्फीन

मरहूम सय्यद गुलाम हसनैन रिज़वी के इसाले सवाब की मजलिस कल रात शिया जमे मस्जिद में मौलाना काज़मी साहब ने पढ़ी. मोमिनीन ने अच्छी तादाद में शिरकत की. मौलाना ने सूरए वाल असर को समझाया और कहा की इंसान घाटे में है, सिर्फ चन्द लोग ही कामयाब हैं.
आज शिया जामे मस्जिद के मेनेजर जनाब शमीम हैदर के छोटे भाई अली हैदर इब्ने गुलाम हैदर का सुबह इन्तेकाल हो गया, वोह कैंसर के  मरीज़ थे. उनकी तद्फीन कर्बला के कब्रस्तान में शाम 4 बजे हुई. मौलाना रज़ा हैदर साहब ने नमाज़े जनाज़ा के बाद मौत के सिलसिले में ताज़क्कुर दिया. मौलाना zameer   हैदर साहब ने नमाज़े जनाज़ा और तलकीन पढाई. जामे मस्जिद में मग़रिब की  नमाज़ के बाद मोमिनीन ने नमाज़े वहशत अदा की.
maulana  raza haider sahab taqreer karte hue

05 सितंबर 2011

करारी शिया जामे मस्जिद

कल रात करारी जामे मस्जिद में तमाम मोमिनीन से मुलाक़ात हुई. सब ने मुस्कुरा कर वही पुराना सवाल दोहराया के " कब आए?' आजकल मुज़फ्फर नगर, जओली के  मौलाना मोहम्मद आमिर काज़मी जामे मस्जिद में इमामत कर रहे हैं.
यह अनवारुल ओलूम, इलाहबाद से   फारिगुत तहसील हैं, जल्द ही रिश्ते इज्दवाज में बंधने वाले हैं. खिता बत  भी  अच्छी  करते  हैं. जोश है, जज़्बह है, बच्चों और नौजवानों में घिरे रहते हैं . साहेबे Laptop हैं इसी बात से उनकी शख्सियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है .
माहे रमजान में बच्चों और नौजवानों से राबता रहा वोह इस लिए की उनकी खुसूसी क्लास में 63 बच्चे शिरकत करते थे.
भाई जैनुल अब्बास 30  बच्चियों की अलग क्लास चला रहे थे. इस क्लास में अहकाम के वाजिबात समझाया जा रहा था.
क्लास के सभी शोराका को इनाम से नवाज़ा गया. मोमिनीने करारी को इस नौजवान आलिमे दीन से बहुत तव्क़्क़ोआत हैं. अल्लाह उन्हें पूरा करे. 

करारी में वुरूद

आज कल करारी का मौसम बारिश के वक़्त और बारिश के बाद बहुत ही खुशगवार, लेकिन चन्द घंटों के बाद बग़ैर पंखा चलाए सुकून नहीं मिलेगा. 
कल, इतवार को करेली से करारी तक का सफ़र उछलते हुए कटा. सड़क पर बारिश ने गढ़े बना दिए. मारुती वैन वैसे भी अच्छी सड़क पर उछलती कूदती हुई दौड़ती है, इस मौसम में तो उसका हक बनता है की मुसाफिरों को सुकून से बैठने न दे.
कार में सामान ज्यादा होने की वजह से उछलने में थोड़ी कमी ज़रूर थी क्यूंकि वोह packing का काम दे रहा था.
घने बादल आए बरसे और चले गए. यह सिलसिला दिन में कई बार चलता रहा.
झींगुर, मेंडक और दीगर हशारात की आवाजें एक सुहाना background का समाँ बांधे हुए है.
बिजली की हालत बहुत अच्छी है. शाम 7 से सुबह 7 बजे  तक आना तो लाज़मी है. अगर और मेहरबान हुई तो दोपहर 11 से 3 बजे भी गर्मी की उमस से राहत देने आ जाएगी.
अब मौसम का मजीद लुत्फ़ उठाना है   तो अपने वतन आ जाइए.

10 अगस्त 2011

बम्बई में मजलिसे तरहीम

 बम्बई में मरहूम सय्यद गुलाम हसनैन रिज़वी करार्वी की मजलिसे तरहीम 8 अगस्त को जैनाबिया में इफ्तार से पहले हुई. मौलाना हसनैन करारवी ने खिताब किया. ये तस्वीरें उसी प्रोग्राम की हैं.

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में..

 
Aug 08, 11:16 pm
करारी, कौशाम्बी :
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा। इस शेर का ख्याल गुजर चुके विद्वानों की शान में आया है जिन्होंने अपने इल्म से एक अच्छे समाज की संरचना की है। करारी कस्बे के इल्मी घराने में पैदा मौलाना गुलाम हसनैन रिजवी इन्हीं में से एक थे।
मौलाना गुलाम हसनैन रिजवी कस्बे के हजरतगंज में सैयद अमीर अली के घर वर्ष 1934 में पैदा हुए। इबतेदाई तालीम मदरसे में हासिल की। उसके बाद इलाहाबाद जाकर इंटर तक की तालीम ली। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए करके लखनऊ के नाजमियां अरबी कालेज में दीनी तालीम हासिल की। वहां से निकलकर मुंबई पहुंचे। जहां हबीब हाईस्कूल में शिक्षक की हैसियत से नौकरी कर ली। इस बीच वो अल्मुनतजर व खुद्दामुज्जायरीन नामी रिसाले के एडीटर बने। उन्होंने फारसी की करीब ढाई सौ किताबों का उर्दू और हिंदी में अनुवाद भी किया। वह सात जबानों के ज्ञाता थे। उन्होंने ने अपने जीवनकाल में कौशाम्बी में दीनी तालीम की अलख जगाई थी। करारी कस्बे में नौजवानों को तालीम से आरास्ता करने का बीड़ा उठाया था। युवाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने में उनका अहम योगदान रहा। अच्छे समाज की संरचना के ख्वाब में हर वक्त डूबे रहने वाले इस नेक इंसान का इंतकाल रमजान के पाक महीने में वर्ष 1996 में सातवीं तारीख को हुआ। उनकी याद में रविवार की रात कस्बे की शिया जामा मस्जिद में मजलिस आयोजित की गई जिसे मौलाना सैयद मो.आमिर काजमी ने खेताबत किया। इस मौके पर शोएब सलमान, जैनुल अब्बास, नैयर रिजवी, शाहिक रिजवी, शहाब रिजवी व शहबाज रिजवी मौजूद रहे और आखिरी में मासूम की फरमाई यह बात याद आई कि मौतुल आलिम (विद्वान) की मौत सारी दुनिया की मौत होती है। इस आलिम की मौत को आज भी कस्बे को लोग याद करते हैं।
Nayyar Kararvi (Dainik Jagran)

शहेंशाह हुसैन अस्पताल से खारिज

बेरुई के शहेंशाह हुसैन जो दो महिना पहले बांद्रा पूर्व से मीरा रोड मुन्तकिल हुए हैं शदीद मलेरिया हो जाने की वजह से बम्बई सेंट्रल में रेलवे अस्पताल . जगजीवन राम में एक हफ्ते के  लिए दाखिल थे. अब अलहम्दो लिल्लाह सेहत्याब हो घर भेज दिए गए हैं. 
अगर कोई उनसे राबता करके उनकी खैरियत लेना चाहे तो उन्हें 09967511783 पर फोन कर सकता है.
    8 अगस्त को रेलवे अस्पताल में शहेंशाह हुसैन

20 जुलाई 2011

सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी अलील

Sayyad Mohammad Haamid Rizvi
करारी की मशहूर शखसिअत, शरीफाबाद के सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी की आज सुबह अचानक तबीअत खराब हो जाने की वजह से उन्हें, सिविल लाईन्स प्रीती नरसिंह होम में दाखिल किया गया.  एक अरसे से वोह सांस के मर्ज़ में मुब्तिला हैं. उनकी सेहत के लिए आप लोगों से दुआ की दरख्वास्त है.

06 जुलाई 2011

बम्बई में माहिम की महफिले पंजतन में जश्न

इमाम हुसैन (अ.स.) की विलादत के मौके पैर बम्बई में माहिम की महफिले पंजतन में जश्न का एहतेमाम किया गया है जिसमें मेहमान शोआरा तशरीफ़ ला रहे हैं. मौलाना सय्यद हसनैन करारवी की तक़रीर से इस प्रोग्राम का आग़ाज़ होगा. 
यह जश्न इतवार को दोपहर 3 बजे से शुरू होगा और नमाज़े मगरिब पर ख़त्म होगा.

01 जुलाई 2011

तालाबपर करारी में 28 रजब का जुलूस


आज तालाबपर करारी में 28 रजब की मुनासेबत से एक जुलूस बरामद होता है. इमाम हुसैन (a.s.) की मदीने से रवानगी का ग़म मनाया जाता है . अंजुमने अब्बासिया के जेरे निगरानी यह एक क़दीमी जुलूस है. हिंदुस्तान के कोने कोने से लोग इसमें शिरकत के लिए जाते हैं.  
                               बोले   हुसैन वादए  तिफली निभाते  हैं 
                               नाना सलाम  लीजिए  परदेस  जाते  हैं.
अंजुमन के सदर जनाब फजलुल अब्बास (मास्टर साहब) और सेक्रेटरी जनाब गुलाम पंजतन इस जुलूस के निगराँ हैं और ज़हूर महदी (गुड्डू) इस के रूहे रवाँ. बकिया नौजवान, जवान, और बुज़ुर्ग इस में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. 
यह जुलूस मदीना से अहले हरम की रुखसती की याद में बरामद होता है और 8 रबीउल अव्वल को शरीफाबाद   करारी मे अहले हरम के लुटे हुए काफले की मदीना वापसी की याद में दूसरा जुलूस, जुलूसे अमारी के नाम से बरामद होता है .  

27 जून 2011

तद्फीन आज 4 बजे शाम

दर्यापुर मंझ्यावा के मरहूम मोहम्मद हैदर जिन का इन्तेकाल गुज़िश्ता शब् 10 बजे हुआ था आज शाम  4 बजे तद्फीन को होगी. 
फ़रज़न्दे अकबर इरफ़ान सउदी अरब के शहर अल्हासा में हैं, उनकी शिरकत मुमकिन नहीं है. लेकिन छोटे फरजंद रिजवान आज सुब्ह की परवाज़ से बम्बई से लखनऊ के लिए रवाना हो गए हैं. 
सउदी अरब में इरफ़ान से राबता के लिए 00966564809442 पर कॉल किया जा सकता है. 
मरहूम को सूरा फातेहा से याद करें और आज नमाज़े मग़रिब के बाद नमाज़े वहशत पढना न भूलें.

26 जून 2011

मंझ्याएँ के मोहम्मद हैदर इन्तेकाल कर गए

करारी से करीब एक मशहूर गाँव दर्यापुर मंझ्यावा के मोहम्मद हैदर साहब का आज एक तवील बीमारी की वजह गाँव  में ही  इन्तेकाल हो गया. मरहूम ने बम्बई में भी अपनी उम्र का एक हिस्सा गुज़ारा था, पहले वोह इमामबाडा बबरअली में रहते थे उसके बाद वोह मलाड मालोनी मुन्ताकिल हो गए. 
इरफ़ान इलाहाबादी और रिजवान करारवी यह दोनों नौजवान शाएर इन्हीं मरहूम के फरजंद हैं. इरफ़ान फिलवक्त सौदी अरब में रोज़गार कम रहे हैं और रिजवान बम्बई से करीब पनवेल में बरसरे रोज़गार हैं.
मरहूम की तद्फीन कल ज़ोहरैन की नमाज़ के बाद मंझ्याएँ में होगी.
मज़ीद तफसील और ताज़ियत के लिए रिजवान को  07498498731 पर राबेता किया जा सकता है.


21 जून 2011

मीसाक़ महदी (शाज़ रिजवी) की अज़ान

आज शाज़ ने MyKarari.com के लिए अज़ान रिकोड करवाई. उन्हों ने कहा की उनकी ज़िन्दगी का मकसद है की वोह कुरआने करीम के एक अच्छे क़ारी और एक अच्छे मुआज्ज़िन बनें. 
दुनिया में जिस जिस जगह की मस्जिद जाएँ वहां अज़ान दें. आइए हम देखें की वोह अपने मकसद में कब कामयाब होते हैं. आप भी उनकी कामयाबी के लिए दुआ करें.

16 जून 2011

अशरफ भाई के घर निआज़

आज 13 रजब , हज़रात अली (अ.स.) की  विलाद के मौके पर बम्बई के अलग अलग इलाकों में मौला अली के चाहने वालों ने अपने घरों में नज्र  का एहतिमाम किया जिसे कूंडा भी कहा जाता है. अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को दावत दी. नज्र में खीर, मिठाई, पूड़ियाँ, चना बटाटा, दही वडा, मीठी टिकया और सालन चावल रखा गया.
 बांद्र इलाके में बब्बन मामूं (मरहूम याकूब हसन रिज़वी) के घर और सान्ताक्रुज़ में अशरफ भाई के घर नज्र चखने के लिए गए थे. तमाम चीज़ें खुश जाएका थीं. 
बांए तरफ वामिक और दाईं तरफ अशरफ भाई नज्र करने के बाद चखते हुए.

14 जून 2011

अल्लामाह जीशान हैदर जवादी (ताबा सराह)

यह तवीर मरहूम के चेहलुम के मौके पैर बनाई थी. इसे इलाहाबाद में स्टेज पर लगाया गया था. 

11 जून 2011

मरहूम सय्यद अमीर अली रिज़वी की 26 वीं बरसी

कल 9 रजब को हमारे दादा मरहूम सय्यद अमीर अली रिज़वी की 26 वीं बरसी है. मरहूम का इन्तेकाल 1985 में तकरीबन 95 साल की उम्र में करारी में हुआ था. मरहूम इलाहाबाद और करारी परगना के अतराफ में अपने दौर के जाने माने मर्सिया खाँ थे. अक्रबा परवरी की एक मिसाल से. 
कर्बला की जियारत का भी शरफ हासिल किया था. उनके दौर में इमाम हुसैन (अ.स.) की जियारत के लिए जाना नहीं था, पानी के जहाज़ से बसरा (इराक) सफ़र किया जाता था और वहां से रेल से कर्बला जाना पड़ता था. 
अल्लाह तआला मरहूम का शुमार अहलेबैत (अ.स.) के चाहने वालों में करे. एक सुरह फातेहा की दरख्वास्त है.
मरहूम अमीर अली की 26 वीं बरसी पर बम्बई में उनकी तीसरी, चौथी और पांचवीं नस्ल फातेहा देते हुए.

मरहूम सय्यद मंज़ूर तकवी (कज्जन) की पहली बरसी

आज करारी जामे मस्जिद में नमाज़े ज़ोह्र से पहले मरहूम सय्यद मंज़ूर तकवी उर्फ़ कज्जन,की पहली बरसी की मजलिस हुई जिसे प्रोफ़ेसर अबुल कासिम साहब ने ख़िताब किया. मरहूम का गुज़िश्ता साल कानपूर में इन्तेकाल हुआ और उनकी तद्फीन करारी में हुई. बरसी की मजलिस में तमाम बेटे और दामाद शरीक थे. मरहूम ने अपनी हयात के आखरी साल का हज अदा किया और मुहर्रम में हर मजलिस में मौजूद रहते थे.

09 जून 2011

मरहूम साकिब रिज़वी की पहली बरसी

मरहूम साकिब रिज़वी की पहली बरसी, रविवार (इतवार), 12 जून रिज़वी कालिज बांद्रा में मुनाकिद होगी.
सुबह 11 बजे कुरआन खानी के बाद जनाब मीर नज़ीर बाक़री साहब पेश्खानी करेंगे और उसके बाद मौलाना सय्यद ज़हीर अब्बास साहब खेताबत फर्माएंगे. आप से शिरकत की दरख्वास्त है. अगर मुमकिन न हो तो एक सुरह फातेहा से मरहूम को याद कर लें.

अग्यओना गाव का एक जवान

करारी से क़रीब अग्यओना गाव के एक जवान, जनाब शजरुल तकवी. आप बम्बई शहर में रहते हैं. बहुत नेक और दिलचस्प शख्सियत हैं. अल्लाह इन्हें तरक्की दे, क्यूंकि यह मेहनतकश और इमानदार हैं. अगर अच्छी नौकरी मिल जाए तो शजरुल GULF जाने के लिए भी तैयार हैं. आज के दौर में ऐसे जवान कम ही दस्तयाब हैं. इन्हें आप Facebook  पर  भी देख सकते हैं. Shajrul Taqvi.
   

08 जून 2011

तन्जीमुल मकतिब के एक और अहेम रुक्न का इस्तीफा

अलहाज मौलाना मोहम्मद अली आसिफ साहब ने तन्जीमुल मकातिब से इस्तीफा दिया. इस की मोकम्मल रिपोर्ट उर्दू में पेश है. इसे क्लिक करके download करें.

07 जून 2011

पह्चानिए, कौन?

यह साहब करारी के पास अमुरा गाव से ताल्लुक़ रखते हैं.
 

24 मई 2011

विलादते जनाबे फातेमा ज़हरा मुबारक

तज़किरा  फ़ातेमा  ज़हरा  का  ज़रा  हो  जाए 
क्या  हकीकत  है  ज़माने  को  बयां  हो  जाए
उस  से  अल्लाहो -नबी  हो  नहीं  सकते  राज़ी
जिस  से  शेह्ज़ादिए-कौनेन  ख़फा  हो  जाए 

21 मई 2011

सय्यद सफी हैदर इन्तेकाल कर गए


आज शाम करेली, इलाहाबाद में सय्यद सफी हैदर रिज़वी ने इस दुनियाए फानी को खैरबाद कहा और अबदी दुनिया  को कूच किया. मरहूम 80 साल से ज्यादा जिए. आप का ताल्लुक करारी से मिला हुआ गाँव अग्योना था. मरहूम ने  शरीके हयात के साथ साथ दो लड़कियां और एक फरजंद को दाग़े मुफारेक़त दिया. अल्लाह उनके पस्मान्दगान को सब्र अता करे. 
सफी हैदर साहब ने बहुत ही सादा ज़िन्दगी गुज़ारी. एक मुद्दत से बीमार रहने के बाद आज दाइए अजल को लब्बैक कहा. इलाहबाद शहर के दर्याबाद के कब्रस्तान में कल इंशा अल्लाह सुबह नौ बजे तद्फीन होगी.
आप से एक सुरह फातेहा की दरख्वास्त है. 

19 मई 2011

हवाई जहाज़ का सस्ता किराया और मुश्किल सफ़र


ज़ियारत के लिए आमादा होने पर इस बात का ख़याल रहे की सफ़र की परेशानियां सामने आएंगी. लोग  लम्बी दूरी के सफ़र से  घबरा जाते हैं. 
बम्बई या देहली से शाम पहुंचना काफी थका देने वाला सफ़र होता है. अगर सउदी एरलाईन्स से टिकट है तो खाने पीने की परेशानी न होगी, लेकिन अगर सस्ती एरलाईन्स, अल अरेबिया से जाना है तो बहुत दिक्कत पेश आती है. क्यूंकि अल अरेबिया का  सस्ता टिकट होने की वजह से जहाज़ में नाश्ता और खाना नहीं दिया जाता. यहाँ तक की जहाज़ में पानी भी खरीद कर पीना पड़ता है. एक बोतल पानी 40 रूपए में. देह्शत्गर्दों के डर से मुसाफिर को जहाज़ में अपने साथ पानी ले जाने की भी इजाज़त नहीं है.
अगर हवाई जहाज़ किसी वजह से ताखीर से आए या जाए तो मुसाफिर को या तो भूका रहना पड़ेगा या फिर महंगा खाना पीना खरीदना पड़ेगा. यह दिक्क़तें न आएं अगर जहाज़ दिल्ली या बम्बई से सीधा शाम पहुंचे. लेकिन ऐसी कोई परवाज़ नहीं है. उम्मुल मसाएब, जनाबे जैनब (अ.स.) की ज़ियारत करने जा रहे हैं तो परेशानियों से घबराना कैसा?  

18 मई 2011

बम्बई से शाम के लिए रवानगी

होटल बिनाए कासिम में
 खलीज की सब से अच्छी हवाई सेवा सउदी एरलाइन्स की मानी जाती है. लेकिन शाम (सिरिया) जाने के लिए कोई सीधी परवाज़ नहीं है. बम्बई से रियाज़ और रियाज़ से दमिश्क जाना पड़ता है. रियाज़ में 4 घंटा हवाई अड्डे पर इंतज़ार कर के कुल नौ घंटे में आप बम्बई से दमिश्क पहुँच जायेंगे.
इत्तेफाक से सउदी अरब के मदीना और दीगर शहरों में रेतीले तूफ़ान की वजह से 15 अप्रैल को सुबह 7 बजे बम्बई हवाई अड्डे से उड़ने वाला जहाज़ 18 घंटे देर से उड़ा. रियाज़ हवाई अड्डे पर 10 घंटे कियाम करने के बाद हम लोग दमिश्क शाम 7 बजे पहुंचे और  सय्यदः  जैनब शहर के होटल "बिनाए कासिम" में रात 9 बजे सामान रखा. होटल जनाबे ज़ैनब के रौज़े के पिछवाड़े ही था. चूँकि रौज़ा रात 10 बजे बंद हो जाता है इस लिए हम लोग खा पीकर सो गए और जियारत दुसरे रोज़ पर टाल दी. इस ताखीर से हमारा एक दिन ज़ाए हुआ.

17 मई 2011

वतन वापसी

नजफ़ में रौज़ाए हज़रत अमीरुल मोमिनीन (अ.स.)
  शाम, ईराक और ईरान की ज़ियारात अपने इख्तिताम पर आई. 28 दिनों का यह टूर निहाएत ही कामयाब रहा. तीनो ममालिक में मौसम बहुत ही शानदार था. अप्रैल के दुसरे हफ्ते से मई के दुसरे हफ्ते में मौसम बहुत ही प्यारा रहता है, वरना मई के तीसरे हफ्ते से गर्मी शुरू हो जाती है. मौसम से परेशानी का एहसास खुसूसन ईराक में होता है. वहाँ बिजली हर दो घंटे के बाद चार घंटे गाएब रहती है, इस तरह 24 घंटों में सिर्फ 8  घंटा बिजली की सप्लाई रहती है. अक्सर होटल बिजली आने पर ही AC चलाते हैं, वरना जेनेरटर के ज़रिए सिर्फ पंखा चल सकता है. 
यह मसअला पूरे ईराक में है. हम लोगों ने जब सरज़मीने नजफ़ पर क़दम रखा तो मग़रिब की अज़ान होने वाली थी और उस वक़्त बिजली नहीं थी.  पूरा शहर जेनेरटर की आवाज़ से गूँज रहा था. चार बरसों में नजफ़ काफी तब्दील हो चुका था. सिकुरिटी बहुत सख्त थी. हालात को देखते हुए ज़रूरी भी था. शारे रसूल पर होटल शिक़ाकुल ईमान में तीन रोज़ कियाम करना था. यह होटल उसी सड़क पर वाके है जहां अयातुल्लाह सीस्तानी साहब का दफ्तर है. 
शाम से तकरीबन 30 घंटे के बस के सफ़र के बाद हिम्मत नहीं हुई की उसी शब् अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) के रौज़े पर हाजरी देते. रात के 11 बज रहे थे और रौज़ा 12 बजे बंद हो जाता है.

21 अप्रैल 2011

शाम में मौजूद हैं

  सीरिया  में आज पांचवां और आखरी दिन है. मौसम अच्छा है मगर हालात ठीक नहीं हैं. जोर्डन की सरहद पैर बसे शहरों में वहाबियों ने फसाद  फैला रखा है. सय्येदा जैनब  जहाँ जनाबे जैनब का रौज़ा है वहां फिल वक़्त हालात बेहतर हैं. हमारा काफ़ला हर जगह जियारत के लिए जा सका. हज़रात हाबील की कब्र, असहाबे कहेफ से मंसूब ग़ार, सुकैना बीनते अली इब्ने अबी तालिब का रौज़ा,  हज़रत रोक़य्या, दरबारे शाम. वगैरा, आज कर्बला के लिए रवाना होंगे. इंशा अल्लाह.  करारी के ओलामा से मुलाक़ात हुई. अग्यौना के मोहम्मद काजिम , करारी के रेहान, लहना के मौलाना. वगैरा. सब बहुत खुश हुए और अहले वतन की खिअरियत दरयाफ्त करने लगे.

15 अप्रैल 2011

आज जियारत के काफले की रवानगी

आज हम लोगों को दमिश्क (शाम) रवाना होना था, लेकिन सउदी अरब में खतरनाक ओलाबारी से परवाज़ मुंबई न पहुँच सकी और जहाज़ अपने वक़्त पर रवाना न हो सका. ज़ाएरीन को जनाबे ज़ैनब के रौज़े पर पहुँचने के लिए बेचैन हैं. अल्लाह उनकी तमन्ना पूरी करे.

29 मार्च 2011

महफिले सक्काए सकीना में मजलिस

गुज़िश्ता इतवार 27 मार्च को मीरा रोड मुंबई में मरहूम एहसान फातेमा का चेहलुम मुनाकिद हुआ जिस में मौलाना सय्यद हसनैन करारवी ने खेताबत फ़रमाई. यह मजलिस महफिले सक्काए सकीना में थी.
नीचे विडियो में उस मजलिस का एक हिस्सा दिखाया गया है.

26 मार्च 2011

बनी हाशिम का कब्रस्तान, वादिस सलाम

 यह तस्वीरें करारी में बनी हाशिम का कब्रस्तान, वादिस सलाम की हैं. गुज़िश्ता मुहर्रम (1432 ) 2010 में इस कब्रस्तान में 12 मुहर्रम को मौलाना रज़ा हैदर साहब ने मरहूम सय्यद ग़ुलाम हसनैन करार्वी के कब्र के सरहाने मजलिस पढ़ी थी .

22 मार्च 2011

मरहूम मौलाना हैदर महदी साहब का चेहलुम


"तनजीमुल मकातिब के इख्तेलाफात का पहला शिकार?"  हुसैन भाई अपनी डाएरी  में शाएद यही दर्ज कर रहे हैं.
मरहूम मौलाना हैदर महदी साहब  के चेहलुम पर ली गई मज़ीद तस्वीरों को देखने के लिए click करें