29 मार्च 2011

महफिले सक्काए सकीना में मजलिस

गुज़िश्ता इतवार 27 मार्च को मीरा रोड मुंबई में मरहूम एहसान फातेमा का चेहलुम मुनाकिद हुआ जिस में मौलाना सय्यद हसनैन करारवी ने खेताबत फ़रमाई. यह मजलिस महफिले सक्काए सकीना में थी.
नीचे विडियो में उस मजलिस का एक हिस्सा दिखाया गया है.

26 मार्च 2011

बनी हाशिम का कब्रस्तान, वादिस सलाम

 यह तस्वीरें करारी में बनी हाशिम का कब्रस्तान, वादिस सलाम की हैं. गुज़िश्ता मुहर्रम (1432 ) 2010 में इस कब्रस्तान में 12 मुहर्रम को मौलाना रज़ा हैदर साहब ने मरहूम सय्यद ग़ुलाम हसनैन करार्वी के कब्र के सरहाने मजलिस पढ़ी थी .

22 मार्च 2011

मरहूम मौलाना हैदर महदी साहब का चेहलुम


"तनजीमुल मकातिब के इख्तेलाफात का पहला शिकार?"  हुसैन भाई अपनी डाएरी  में शाएद यही दर्ज कर रहे हैं.
मरहूम मौलाना हैदर महदी साहब  के चेहलुम पर ली गई मज़ीद तस्वीरों को देखने के लिए click करें 

21 मार्च 2011

मजलिसे चेहलुम

मरहूमा सय्यादा एहसान फातेमा बिन्ते  सय्यद अफसर हुसैन   का चेहलुम 27 मार्च को मुंबई के मीरा रोड में महफिले सक्काए सकीना, सुपर मार्किट के करीब,  में मुनाकिद होगा जिसमें मौलाना सय्यद हसनैन रिज़वी करार्वी खिताबत फ़रमाएंगे. सुब्ह 10 बजे कुरआन ख्वानी होगी और 11 बजे मजलिसे अज़ा होगी. आप लोगों की शिरकत ग़मज़दा अहले खाना के तसकीने क़ल्ब का बाइस होगी.
औरतों के लिए मजलिस में अलग से इंतज़ाम होगा.
सोगवार: सय्यद ऐनुल अब्बास. फोन: 9819168455   

18 मार्च 2011

रज़ा रिज़वी (शीलू) की वालेदा की बरसी की मजलिस

मरहूमा  सय्यदा हुसैन फ़ातेमा बिन्ते मरहूम सय्यद नफीसुल हसन (भुग्गी बाबा) की बरसी की मजलिस कल  इलाहाबाद में काजी जी की मस्जिद में नमाज़े मग्रबैन की नमाज़ के बाद हुई. मरहूमा के दो फरजंद हैं. शीलू (रज़ा रिज़वी ) और जिया रिज़वी (शेरू). मरहूमा के ईसाले सवाब के लिए एक सुरह फातेहा की दरख्वास्त है.

14 मार्च 2011

उमरह रवानगी

Hajare Aswad, Hajj 2009
मरहूम बेच्चन बाबा के फ़रज़न्द मौलाना मोहम्मद अख्तर रिज़वी मए कहारी और मए पिसरान आज सुबह उमरह करने के लिए बम्बई से जद्दाह के लिए रवाना हो गए. दो हफ़्तों का यह टूर मदीना और मक्काह का है. अल्लाह तआला इनकी ज़ियारात और उमरह को कामयाब करे.
तकरीबन दो बरसों से उमरह बजा लाने का रुझान मोमिनीन के दरमियान में इजाफा हुआ है. ख़ास तौर पर मार्च और अप्रैल के महीनों में. इस मौसम में सिर्फ 35 हज़ार रोप्यों में उमरह मोकम्मल हो जाता है. जब की हज्ज अदा करने के लिए एक लाख सत्तर हज़ार का खर्च बैठता है. खोदा तमाम हज्ज, उमरह और जियारत की तमन्ना रखने वालों को मुशर्रफ करे. आमीन.  

08 मार्च 2011

शाम-ईराक-ईरान की ज़ियारात

शाम-ईराक-ईरान की ज़ियारात.
काफ्ला 14 अप्रैल को रवाना होगा.
सिर्फ 55,000 /- . कुल 28 दिन.
राबता करें: 09920276708 

05 मार्च 2011

मरहूम असग़र अब्बास के ईसाले सवाब की मजलिस

आज मुंबई के कुर्ला के नज़र अली इमामबाड़े में मरहूम असग़र अब्बास (छोक्कन भाई) के ईसाले सवाब के लिए मजलिसे अजा का इनेकाद बाद नमाज़े मग़रिब किया  गया है. मरहूम का इन्तेकाल 2 मार्च 2011 को हुआ था. इस मजलिस को मौलाना सय्यद हसनैन करार्वी खेताब करेंगे.
आप लोगों से शिरकत की  गुज़ारिश है. मज़ीद मालूमात के लिए पापा (ज़फर) से राबता इस नं 9969425157 पर किया जा सकता है. 

04 मार्च 2011

मरहूम मंज़ूर हसन रिज़वी की बीसवीं बरसी

मरहूम मंज़ूर हसन रिज़वी इब्ने अख्तर हुसैन की कल 29 रबीउल अव्वल को बीसवीं बरसी है. मरहूम हमारे नाना थे. उनके 6 बेटे और 5 बेटियाँ थीं जिसमें 4 फरजंद और 3 दुखतर हयात हैं. सबसे बड़े फरजंद मरहूम महमूद सरोश 13 साल पहले इन्तेकाल कर गए, वोह एक जाने माने शाएर थे. उनसे छोटे याकूब हसन रिज़वी तकरीबन 24 साल पहले  सड़क हादसे का शिकार हो गए थे. 
डाक्टर अख्तर हसन रिज़वी उनके पांचवें फरजंद हैं जिनका शुमार मुल्क के मशहूर बिल्डर माने जाते हैं. साथ ही उनहूँ ने तालीमी मैदान में खिदमात अंजाम देकर अपना और अपने वालेदैन का नाम रोशन किया है. जौनपुर का कालिज, बम्बई में रिज़वी कॉलेज और करारी में एक बहुत ही बड़ा कॉलेज उनकी ही काविशों का नतीएजा है. 
मरहूम मंज़ूर हसन रिज़वी ने अपनी ज़िन्दगी का एक बड़ा हिस्सा बम्बई में गुज़ारा और रिटायर होने के बाद करारी में रहने लगे. बागबानी का बहुत शौक़ था. पेड़ पौदों से दिलचस्पी थी. अमरुद और आम के बाग़ में बराबर हाजरी देते. 
अपनी सेहत का ख्याल रखते, तकरीबन सौ साल जिए लेकिन कमर नहीं झुकी. तबियत ज़रा सी नासाज़ होती तो खाने पर रोक लगा देते. पेट खराब होने न देते और रोज़ नहार मुंह 'निम्कौरी' फांकते थे.
हर नमाज़ का खात्मा अपनी औलाद के लिए बा आवाज़ बुलंद देर तक दुआ करते, हर  एक बेटा बेटी का नाम लेले कर दुआ करते. 
शाएर अकबर इलाहाबादी के अशआर ज़बानी याद थे और हमेशा उन्हें पढ़ा करते थे. हाफेज़ा तेज़ था, सिर्फ बीनाई  ज़रा कमज़ोर हो गई थी. कभी परेशान दिखाई नहीं दिए. हर हाल में मूतमइन नज़र आते. 
अल्लाह ताआला उनके दरजात में बुलंदी अता करे. एक सूरा फातेहा से मरहूम को नवाज़ने की गुजारिश है.

03 मार्च 2011

आज तालाब्पर में छोक्कन भाई सिपुर्दे ख़ाक

असगर अब्बास ( छोक्कन ) इब्ने ज़व्वार हुसैन का कल 11 .00 बजे दिन में इलाहबाद के अस्पताल में इन्तेकाल हो गया था. आज तकरीबन 11 .00 बजे दिन में तालाब्पर में उनकी तद्फीन हो गई. मरहूम के दो फ़रज़न्द हैं. छोक्कन भाई बहुत ही खुश मिज़ाज थे. अक्सर मजालिस में सोज़ खानी किया करते थे. अल्लाह ताआला उन्हें जवारे मासूमीन में जगह अता करे. 
आप से सुरह फातेहा की दरख्वास्त है. और साथ ही मगरिब की नमाज़ के बाद नमाज़े वहशत पढना न भूलें.