21 अप्रैल 2011

शाम में मौजूद हैं

  सीरिया  में आज पांचवां और आखरी दिन है. मौसम अच्छा है मगर हालात ठीक नहीं हैं. जोर्डन की सरहद पैर बसे शहरों में वहाबियों ने फसाद  फैला रखा है. सय्येदा जैनब  जहाँ जनाबे जैनब का रौज़ा है वहां फिल वक़्त हालात बेहतर हैं. हमारा काफ़ला हर जगह जियारत के लिए जा सका. हज़रात हाबील की कब्र, असहाबे कहेफ से मंसूब ग़ार, सुकैना बीनते अली इब्ने अबी तालिब का रौज़ा,  हज़रत रोक़य्या, दरबारे शाम. वगैरा, आज कर्बला के लिए रवाना होंगे. इंशा अल्लाह.  करारी के ओलामा से मुलाक़ात हुई. अग्यौना के मोहम्मद काजिम , करारी के रेहान, लहना के मौलाना. वगैरा. सब बहुत खुश हुए और अहले वतन की खिअरियत दरयाफ्त करने लगे.

15 अप्रैल 2011

आज जियारत के काफले की रवानगी

आज हम लोगों को दमिश्क (शाम) रवाना होना था, लेकिन सउदी अरब में खतरनाक ओलाबारी से परवाज़ मुंबई न पहुँच सकी और जहाज़ अपने वक़्त पर रवाना न हो सका. ज़ाएरीन को जनाबे ज़ैनब के रौज़े पर पहुँचने के लिए बेचैन हैं. अल्लाह उनकी तमन्ना पूरी करे.