26 जुलाई 2014

रोज़ा, रोटी और नफरत

दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में शिव सेना सांसद ने रोज़ादार मुलाज़िम के मुंह में ज़बरदस्ती रोटी ठोंसी. यह कैसी नफरत है मामूजान?
मामूजान: महाराष्ट्र की तारीख़ में शिव सेना पार्टी का वोजूद मुस्लिम दुश्मनी की बिना पर है. इस पार्टी के बानी और नेता मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते चले आए हैं. मुंबई से छपने वाला शिव सेना का परचा "सामना" जिसे यह लोग अख़बार कहते हैं वक्तन फवक्तन मुसलमानों को कोसता रहता है. कोई ख़बर ऐसी नहीं होती जो मुस्लिम मुखालिफ न हो. प्रदेश में जितने भी मुस्लिम मुखालिफ दंगे हुए उसमें यही लोग नज़र आए जिस में पुलिस ने हमेशा इस पार्टी का साथ दिया. दादागिरी, तोड़ फोड़ इन लोगों की सुन्नत रही है.
सच यह है की कांग्रेस पार्टी ने हमेशा इन की हिम्मत अफज़ाई की है. इन के ख़िलाफ़ इकदाम नहीं करते थे और इन्हें दिलेर बनाते रहे. कांग्रेस, शिव सेना का हव्वा खड़ा करके मुसलमानों का वोट लेते रहे.
शिव सेना का यही नफरत भरा चेहरा दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में नज़र आया. दाल रोटी की क्वालिटी का बहाना बना कर एक रोज़ादार सुपरवाइजर के मुंह में रोटी ठोंसी. जबकि खाने की शिकायत मेनेजर से करनी चाहिए थी. न जाने ये सांसद कितने दिन के भूके प्यासे थे.
राज्य सभा और लोक सभा में खूब हंगामा हुआ, इन सांसदों से माफ़ी की मांग की गई. राजनितिक पार्टियों ने इस घटना की निंदा की. लेकिन भाजपा ने इस वाकिए पर उसी तरह चुप्पी साध रखी है जिस तरह वोह गज्ज़ा के क़त्ले आम पर इजराइल के खिलाफ कुछ कहने से गुरेज़ कर रहे थे.
अल्पसंख्यक मंत्रालय की मंत्री डॉ नजमा हेपतुल्लाह ने मीडिया के सवाल पर ऐसा रवय्या रखा जैसे अपनी ऊंचा सुनने वाली मशीन घर पर भूल आई हों.
शिकायत IRCTC कैंटीन की सर्विस पर थीं लेकिन गुस्सा एक रोज़ादार मुस्लमान पर उतरा. अगर इसी तरह नाक़िस खानों पर IRCTC के स्टाफ पर मुंह में रोटी ठोंस ठोंस कर एहतेजाज होता रहा तो लम्बी दूरी की ट्रेनों में मुसाफिर ख़राब खाने IRCTC के स्टाफ के मुंह में ठोंसते रहेंगे.

"ग्रेटर इस्राईल" एक ख़्वाब

हर साल रमज़ान के महीने के आखरी जुमा को फिलिस्तीन और इस्लाम के पहले क़िबला की आज़ादी के लिए रखा है. क्या यह कोद्स इतना अहम मुद्दा है मामूजान?
मामूजान: इस्लामी दुनिया के लिए कोद्स सब कुछ है. यह नबियों की सरज़मीन है. किब्लए अव्वल है. फिलिस्तीन की सरज़मीन पर अंग्रेजों ने यहूदियों को बसाया था और उन्हों ने आहिस्ता आहिस्ता फिलिस्तीनियों को शरणार्थी बना दिया और खुद पूरे मुल्क पर क़ब्ज़ा कर लिया. 
जर्मनी ने यहूदियों को क़त्ल किया लेकिन सज़ा फिलिस्तीनी मुसलमानों को दी गई.
जब से इजराइल का नाजाएज़ क़ब्ज़ा हुआ है उस वक़्त से अरब दुनिया में खल्फिशार है. फिलिस्तीन के अतराफ में अरब ममालिक में कहीं भी लोकतंत्र नहीं है. एक लेबनान है जहाँ मतदान होता है लेकिन उसे भी पश्चिमी देशों ने शिया, सुन्नी और ईसाई में बाँट रखा है.
मुसलमानों का सब से गद्दार मुल्क मिस्र रहा है. हुस्नी मुबारक से नजात मिलने के बाद मोहम्मद मुर्सी ने लोकतंत्र तरीके से राष्ट्रपति का पद संभाला. लेकिन इजराइल और अमरीका मिलकर एक डिक्टेटर को लाए और मुर्सी को जेल भेज दिया. 
दर अस्ल यहूदियों की योजना इस इलाक़े में "ग्रेटर इजराइल" की है. जिस की सीमा पश्चिम में मिस्र की नील दरया से लेकर पूरब में इराक़ की फ़ुरात दरया तक है. इनको यह पूरा इलाक़ा अपने क़ब्ज़े में लेना है. पहले से ही अमरीका, यूरोप, यूनाइटेड राष्ट्र और अरब लीग उसके क़ब्ज़े में हैं. शाम और इराक में अपने एजेंट ISIL और ISIS वहां तबाही मचा रखी है. मुसलमानों का गला काट काट कर नारए तकबीर बुलंद कर रहे हैं. जब इन मुल्कों पर क़ब्ज़ा हो जायेगा तो तेल, गैस और पूरी दुनिया पर क़ब्ज़ा हो जाएगा.
खुद को खलीफतुल मुस्लिमीन कहने वाला अबू बकर बघ्दादी ग़ज़ा में बच्चों के मारे जाने पर खामोश है. बल्कि यह लोग इराक़ और शाम में फिलिस्तीन का परचम जला रहे हैं. इस अबू बकर ने इजराइल के खिलाफ एक लफ्ज़ नहीं कहा.
एक ईरान है जिस ने इजराइल की योजनाओं को नुकसान पहुँचाया है. ईरान ने कोद्स की आज़ादी को ज़िन्दा रखा है जबके अरब हुकूमतें तमाशा देख रही हैं. 
मुसलमानों की यह बदकिस्मती है की किब्लाए अव्वल यहूदियों के क़ब्ज़े में है और मस्जिदे अक्सा शहीद करना चाहते हैं. 
मौजूदा क़िबला सउदीयोँ के क़ब्ज़े में हैं जो जन्नतुल बक़ी की तरह गुम्बदे खिजरा गिराना चाहते हैं.