marhum Sayyad Ameer Ali ibne Roshan Ali |
मार्च 1985 और रजबुल मुरज्जब की आठ तारीख़ को हमारे दादा मरहूम सय्यद अमीर अली रिज़वी का इन्तेकाल हुआ था. कल उनकी 27 वीं बरसी थी.
इसी मुनासिबत से मीरा रोड में अपने ग़रीब ख़ाने पर मरहूम की तकरीबे फातेहा का एहतेमाम किया.
दादा मरहूम में अकरबा परवरी पाई जाती थी. अपने ज़माने में अच्छे मर्सिया पढने वालों में उनका शुमार होता था. उर्दू ज़बान के आला खुश नवीस थे. मीर अनीस और मिर्ज़ा दबीर के मरासी अपने हाथों से लिख कर अपने पास रख्खे हुए थे.
रिज़्के हलाल ही ज़रिए मआश था. बच्चों को सौमो सलात का पाबंद बनाया. अज़ादारी में पेश पेश रहे और अपनी औलाद को मोहब्बते अहले बैत (अ.स.) घोल कर पिलाया. उनको मुती और फरमा बरदार बनाया.
अल्लाह तआला उनको जवारे मासूमीन (अ.स.) में जगह दे.
घर के अफराद सवाबे सुरह फातेहा हदया करते हुए |