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27 मई 2019
23 जून 2014
20 जून 2013
12 मई 2013
मरहूमा अमीर फातेमा की 2 3 वीं बरसी
मीरा रोड, मुंबई में मुकीम, मोहम्मद मुरताज़ा (नब्बन चचा) की वालेदा मरहूमा अमीर फातेमा बिन्ते फैज़ मोहम्मद की आज 2 3 वीं बरसी के मौके पर उनके दौलत ख़ाने संघवी अम्पायर पर मजलिसे अज़ा मुंअक़िद होगी जिसमें मौलाना सय्यद हसनैन करार्वी साहब का बयान होगा।
आप से गुज़ारिश है की एक सूरा फातेहा पढ़ कर मरहूमा को बख्श दें।
19 नवंबर 2011
मरहूमा ततहीर फातेमा की मजलिसे बरसी
कल इतवार 20 नवम्बर को मरहूमा ततहीर फातेमा की पहली बरसी के मौके पर मीरा रोड की महफिले पंजतन में मजलिसे अजा का इनएकाद किया गया है.
मौलाना सय्यद हसनैन करार्वी साहब जाकेरी फरमाएंगे.
सुबह 10 बजे कुरआन खानी के बाद मजलिस शुरू हो जाएगी
आप लोगों से शिरकत की दरखास्त है.
मजीद मालूमात के लिए 9969153744 पर साहबजादे साहब से राबता किया जा सकता है.
मौलाना सय्यद हसनैन करार्वी साहब जाकेरी फरमाएंगे.
सुबह 10 बजे कुरआन खानी के बाद मजलिस शुरू हो जाएगी
आप लोगों से शिरकत की दरखास्त है.
मजीद मालूमात के लिए 9969153744 पर साहबजादे साहब से राबता किया जा सकता है.
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10 अगस्त 2011
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में..
करारी, कौशाम्बी :
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा। इस शेर का ख्याल गुजर चुके विद्वानों की शान में आया है जिन्होंने अपने इल्म से एक अच्छे समाज की संरचना की है। करारी कस्बे के इल्मी घराने में पैदा मौलाना गुलाम हसनैन रिजवी इन्हीं में से एक थे।
मौलाना गुलाम हसनैन रिजवी कस्बे के हजरतगंज में सैयद अमीर अली के घर वर्ष 1934 में पैदा हुए। इबतेदाई तालीम मदरसे में हासिल की। उसके बाद इलाहाबाद जाकर इंटर तक की तालीम ली। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए करके लखनऊ के नाजमियां अरबी कालेज में दीनी तालीम हासिल की। वहां से निकलकर मुंबई पहुंचे। जहां हबीब हाईस्कूल में शिक्षक की हैसियत से नौकरी कर ली। इस बीच वो अल्मुनतजर व खुद्दामुज्जायरीन नामी रिसाले के एडीटर बने। उन्होंने फारसी की करीब ढाई सौ किताबों का उर्दू और हिंदी में अनुवाद भी किया। वह सात जबानों के ज्ञाता थे। उन्होंने ने अपने जीवनकाल में कौशाम्बी में दीनी तालीम की अलख जगाई थी। करारी कस्बे में नौजवानों को तालीम से आरास्ता करने का बीड़ा उठाया था। युवाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने में उनका अहम योगदान रहा। अच्छे समाज की संरचना के ख्वाब में हर वक्त डूबे रहने वाले इस नेक इंसान का इंतकाल रमजान के पाक महीने में वर्ष 1996 में सातवीं तारीख को हुआ। उनकी याद में रविवार की रात कस्बे की शिया जामा मस्जिद में मजलिस आयोजित की गई जिसे मौलाना सैयद मो.आमिर काजमी ने खेताबत किया। इस मौके पर शोएब सलमान, जैनुल अब्बास, नैयर रिजवी, शाहिक रिजवी, शहाब रिजवी व शहबाज रिजवी मौजूद रहे और आखिरी में मासूम की फरमाई यह बात याद आई कि मौतुल आलिम (विद्वान) की मौत सारी दुनिया की मौत होती है। इस आलिम की मौत को आज भी कस्बे को लोग याद करते हैं।
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा। इस शेर का ख्याल गुजर चुके विद्वानों की शान में आया है जिन्होंने अपने इल्म से एक अच्छे समाज की संरचना की है। करारी कस्बे के इल्मी घराने में पैदा मौलाना गुलाम हसनैन रिजवी इन्हीं में से एक थे।
मौलाना गुलाम हसनैन रिजवी कस्बे के हजरतगंज में सैयद अमीर अली के घर वर्ष 1934 में पैदा हुए। इबतेदाई तालीम मदरसे में हासिल की। उसके बाद इलाहाबाद जाकर इंटर तक की तालीम ली। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए करके लखनऊ के नाजमियां अरबी कालेज में दीनी तालीम हासिल की। वहां से निकलकर मुंबई पहुंचे। जहां हबीब हाईस्कूल में शिक्षक की हैसियत से नौकरी कर ली। इस बीच वो अल्मुनतजर व खुद्दामुज्जायरीन नामी रिसाले के एडीटर बने। उन्होंने फारसी की करीब ढाई सौ किताबों का उर्दू और हिंदी में अनुवाद भी किया। वह सात जबानों के ज्ञाता थे। उन्होंने ने अपने जीवनकाल में कौशाम्बी में दीनी तालीम की अलख जगाई थी। करारी कस्बे में नौजवानों को तालीम से आरास्ता करने का बीड़ा उठाया था। युवाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने में उनका अहम योगदान रहा। अच्छे समाज की संरचना के ख्वाब में हर वक्त डूबे रहने वाले इस नेक इंसान का इंतकाल रमजान के पाक महीने में वर्ष 1996 में सातवीं तारीख को हुआ। उनकी याद में रविवार की रात कस्बे की शिया जामा मस्जिद में मजलिस आयोजित की गई जिसे मौलाना सैयद मो.आमिर काजमी ने खेताबत किया। इस मौके पर शोएब सलमान, जैनुल अब्बास, नैयर रिजवी, शाहिक रिजवी, शहाब रिजवी व शहबाज रिजवी मौजूद रहे और आखिरी में मासूम की फरमाई यह बात याद आई कि मौतुल आलिम (विद्वान) की मौत सारी दुनिया की मौत होती है। इस आलिम की मौत को आज भी कस्बे को लोग याद करते हैं।
Nayyar Kararvi (Dainik Jagran)
18 मार्च 2011
रज़ा रिज़वी (शीलू) की वालेदा की बरसी की मजलिस
मरहूमा सय्यदा हुसैन फ़ातेमा बिन्ते मरहूम सय्यद नफीसुल हसन (भुग्गी बाबा) की बरसी की मजलिस कल इलाहाबाद में काजी जी की मस्जिद में नमाज़े मग्रबैन की नमाज़ के बाद हुई. मरहूमा के दो फरजंद हैं. शीलू (रज़ा रिज़वी ) और जिया रिज़वी (शेरू). मरहूमा के ईसाले सवाब के लिए एक सुरह फातेहा की दरख्वास्त है.
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29 नवंबर 2010
मजलिसे बरसी
आज नमाज़े जोहर से पहले शिया जामा मस्जिद, बान्द्रा बाज़ार, मुंबई में इग्यौना के हसन साहब (भारत नगर ) की वालेदा मरहूमा अमीर बानो बिन्ते मोहम्मद असग़र की बरसी की मजलिस हुई जिसे मौलाना शाहिद रेज़ा साहब ने खिताब फ़रमाया. मौलाना शाहिद साहब ने विलायते अली (अ.स.) जन्नत और जहन्नम का तज्केरा किया. आप ने कुरआन की तिलावत पर भी जोर दिया और कहा की जन्नत में दरजात एक एक आयात पर बुलंद होंगे. मौलाना शाहिद रेज़ा मरहूम अकबर रेज़ा के पोते हैं और बहुत अच्छी जाकिरी करते हैं. मजलिस के शुरू में मजमा बहुत कम था लेकिन आहिस्ता आहिस्ता लोग आते गए. कल रात जैनाबिया में ग़दीर की महफ़िल होने की वजह से बहुत से लोग मजलिस में शरीक न हो सके.
आप लोगों से गुजारिश है की मरहूमा को एक सुरह फातेहा पढ़ कर बख्श दें.
आप लोगों से गुजारिश है की मरहूमा को एक सुरह फातेहा पढ़ कर बख्श दें.
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मौलाना शाहिद रेज़ा मजलिस पढ़ते हुए |
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