करारी में शादी बियाह का सिलसिला जारी है. बुधवार 10 नवम्बर को मंझनपुर में नन्हें भाई के लड़के की शादी का वलीमा, और जुमेरात को इलाहबाद शहर, करेली कालोनी के दुल्हन पैलस हाल में बाबू बख्शी साहब के फरजंद के निकाह के सिलसिले में वलीमा था. बारात लखनऊ गई थी.
शबे जुमा कानपुर में भी करारी के दामाद और अमरोहा के चश्मों चराग़ जनाब इकबाल नकवी साहब के सब से बड़े नूरे नज़र जो मोनू के नाम से पुकारे जाते हैं की शादी की मुनासिबत से वलीमा था. बरात ८ दिसम्बर को देहली के करीब, साहिबाबाद गई थी. मोनू मरहूम मोहम्मद रज़ा (मैकन) के नवासे हैं. वलीमा में मोख्तालिफ अक्साम की चटोरी डिशों का एहतेमाम किया गया था. जिसे लोगों ने पसंद किया. शेहरी रवाज के मुताबिक चाट, पानी पूरी, चोव्मिन, मसाला डोसा, पनीर पकोड़े वगैरा खाने से पहले दिया गया. काफी भी लोगों ने काफी मेकदार में पी. इकबाल भाई सफारी में स्मार्ट दिखाई दे रहे थे. उन्नाव से सक़लैन और सय्यादैन साहब भी तशरीफ़ लाए थे. वलीमा की इस तकरीब में हुसैन भाई भी पेश पेश थे, बावजूद ये की उनका बायाँ पैर ज़मीन पर नहीं पड़ रहा था. हाल ही में बॉम्बे के दौरे पर उनका पैर फिसल गया था और उनके में पैर फ्राक्चर हो गया था.
तकरीबन एक हफ्ते से नान गोश्त का दौर चल रहा है . खाते खाते तबियत के उकताने का डर था. अगर दरमियान में menu नहीं बदलता तो पापी पेट के खराब होने का ख़तरा था .इस अज़ीम खतरे को टालने के लिए पंजतन चाचा के लखते जिगर, शबीहुल ने कल जुमा के रोज़ सुबह नाश्ते पर हम लोगों को मदु किया और चने की रोटी, नमक मिर्च के साथ बैगन का भुरता पेश किया. नाश्ता करने पर तबियात मिर्च की वजह से सुस्स्वा तो गई लेकिन लुत्फ़ बहुत आया . जईके में इजाफा हुआ क्यूंकि शहेंशाह चचा और नब्बन चाचा भी दस्तरखान पर मौजूद थे.
अभी यह नाश्ता हजम नहीं हुआ की शोएब ने दोपहर के खाने में बड़े का पाया पकवाने का एलान कर दिया. अगर मौसम में ठंडक होती तो यह डिश भी यादगार हो जाती.