30 अप्रैल 2018

मौलाना सिब्ते हसन साहब मरहूम, हिंदो-पाक के पहले ख़तीब




मौलाना सिब्ते हसन साहब मरहूम 
बर्रे सग़ीर के पहले ख़तीब,
मुहर्रम में 
मरसिया,
सोज़,
सलाम,
रौज़ा ख्वानी को 
खिताबत में तब्दील करनेवाले ज़ाकिर
जिन्हों ने मजलिसे अजा में 
खिताबत के फन को राएज किया 





भाजपा के रोज़गार

मितरों... यह रोज़गार तो भाजपा के ही कारण प्राप्त हुआ है...


22 अप्रैल 2018

बहुत खतरनाक सोच


लखनऊ के अबिशेक मिश्र ने OLA टैक्सी इस लिए कैंसिल कर दी क्यूंकि ड्राईवर मुसलमान था.
और वोह अपना पैसा जेहादियों को नहीं देना चाहता था.
अभिषेक मुसलमानों को कोई पैगाम देना चाहता है. ये है भाजपा से जुड़े हुए लोगों की मानसिकता .......
क्या अपनी गाडी में खाड़ी देशों से आये पेट्रोल भरवाना बंद करदेगा अभिषेक?
अगर हम सब लोग इसी तरह सोचने लगेंगे तो यह देश अर्थ व्यवस्था के लिए बहुत नुकसान होगा.


20 अप्रैल 2018

पंडित के पास कोई जबाब नहीं था।

एक दिन पंडित को प्यास लगी, संयोगवश घर में पानी नहीं था। इसलिए उसकी पत्नी पड़ोस से पानी ले आई। पानी पीकर पंडित ने पूछा....
पंडित - कहाँ से लायी हो? बहुत ठंडा पानी है।
पत्नी - पड़ोस के कुम्हार के घर से।
(पंडित ने यह सुनकर लोटा फेंक दिया और उसके तेवर चढ़ गए। वह जोर-जोर से चीखने लगा )
पंडित - अरी तूने तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया। कुम्हार ( शूद्र ) के घर का पानी पिला दिया।
(पत्नी भय से थर-थर कांपने लगी)
उसने पण्डित से माफ़ी मांग ली।
पत्नी - अब ऐसी भूल नहीं होगी।
शाम को पण्डित जब खाना खाने बैठा तो घर में खाने के लिए कुछ नहीं था।
पंडित - रोटी नहीं बनाई। भाजी नहीं बनाई। क्यों????
पत्नी - बनायी तो थी। लेकिन अनाज पैदा करने वाला कुणबी(शूद्र) था और जिस कड़ाई में बनाया था, वो कड़ाई लोहार (शूद्र) के घर से आई थी। सब फेंक दिया।
पण्डित - तू पगली है क्या?? कहीं अनाज और कढ़ाई में भी छूत होती है?
यह कह कर पण्डित बोला- कि पानी तो ले आओ।
पत्नी - पानी तो नहीं है जी।
पण्डित - घड़े कहाँ गए???
पत्नी - वो तो मैंने फेंक दिए। क्योंकि कुम्हार के हाथ से बने थे।
पंडित बोला- दूध ही ले आओ। वही पीलूँगा।
पत्नी - दूध भी फेंक दिया जी। क्योंकि गाय को जिस नौकर ने दुहा था, वो तो नीची (शूद्र) जाति से था।
पंडित- हद कर दी तूने तो यह भी नहीं जानती की दूध में छूत नहीं लगती है।
पत्नी-यह कैसी छूत है जी, जो पानी में तो लगती है, परन्तु दूध में नहीं लगती।
(पंडित के मन में आया कि दीवार से सर फोड़ लूं)
वह गुर्रा कर बोला - तूने मुझे चौपट कर दिया है जा अब आंगन में खाट डाल दे मुझे अब नींद आ रही है।
पत्नी- खाट!!!! उसे तो मैनें तोड़ कर फेंक दिया है जी। क्योंकि उसे शूद्र (सुथार ) जात वाले ने बनाया था।
पंडित चीखा - वो फ़ूलों का हार तो लाओ। भगवान को चढ़ाऊंगा, ताकि तेरी अक्ल ठिकाने आये।
पत्नी - हार तो मैंने फेंक दिया। उसे माली (शूद्र) जाति के आदमी ने बनाया था।
पंडित चीखा- सब में आग लगा दो, घर में कुछ बचा भी हैं या नहीं।
पत्नी - हाँ यह घर बचा है, इसे अभी तोड़ना बाकी है। क्योंकि इसे भी तो पिछड़ी जाति के मजदूरों ने बनाया है।
पंडित के पास कोई जबाब नहीं था।
उसकी अक्ल तो ठिकाने आयी।
बाकी लोगों कि भी आ जायेगी।

10 अप्रैल 2018

खबरदार! होशियार!


अब भी वक्त है, आप घरों से निकल कर समाज के छोटे छोटे हिस्से को दंगाई बनाने के इस प्रोजेक्ट के खिलाफ आवाज़ उठाइये. बहुत देर हो चुकी है और यह देरी बढ़ती जा रही है. हर जगह एक भीड़ खड़ी है जिसे व्हाट्सएप के ज़रिए वीडियो और आडियो का इशारा मिलते ही वो दंगाई में बदल जाती है. हिन्दू मुस्लिम डिबेट के ज़रिए लोगों में बराबरी से ज़हर भरा गया है. अफवाह की एक चिंगारी भीड़ को किसी के मोहल्ले में ले जाती है और लूट-पाट से लेकर आगज़नी और हत्या कराने लगती है. हिन्दू-मुस्लिम डिबेट के केंद्र में है कि कैसे लगातार बहसों और प्रोपेगैंडा के ज़रिए आपके मन में मुसलमानों के प्रति नफ़रत भर दी जाए. इतनी भर दी जाए कि एक अफवाह भर से आप दंगा करने लग जाएं ताकि इल्ज़ाम भीड़ पर आए और नेता आपके बीच संत की तरह आता रहे. पूरा तंत्र लगा हुआ है वीडियो शेयर करने वाला.