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15 नवंबर 2012

मुहर्रम 1434: अय्यामे अज़ा का आगाज़


मुहर्रम का चाँद नमूदार हो चुका है। दुनिया भर के अज़ादार गमे हुसैन (अ,स) मनाने के लिए आमादा  हो चुके है। अज़ाखाने सज चुके हैं। फरशे अज़ा बिछ चुका है। सबीलें लग चुकी हैं। हर तरफ नौहा ख्वानी हो रही है।

करारी में भी चाँद देखा गया। आज पहली मुहर्रम की शब् है। अभी थोड़ी ही देर में अम्बाही बाग़, नया गंज में ज़ाहिद अली साहब के मकान पर मजलिस होने जा रही है और बाद मजलिस शबीहे अलमो ताबूत बरामद होंगे।

कल पहली मुहर्रम को नमाज़े ज़ोहरैन के बाद करबला के क़रीब, हीरा भाई के घर पर मजलिस होगी और उसके बाद शबीहे अलम , ताबूत और ज़ुलजनाह बरामद होँगे। यह जुलूस अभी चंद साल पहले से बरामद हो रहा है।