26 मई 2021

मदहे जनाब ख़दी'ज तुल कुबरा (स)


 मिसर ए तरह

" इस्लाम न भूलेगा एहसान ख़दीजा(स)का "

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एहसान है उम्मत पर हर आन ख़दीजा का

है बहरे रवां अब भी फ़ैज़ान ख़दीजा का


हर तरह की सरदारी है आपके कुनबे में

घर सारे जहां में है ज़ीशान ख़दीजा का


" एहसान ख़दीजा का सब भूल गए, लेकिन "

इस्लाम न भूलेगा एहसान ख़दीजा का


मेहदी सा पिसर इनका, काबे में जब आएगा

ये सहने हरम होगा दालान ख़दीजा का


इमरान के बाद ऐसी मिदहत न किसी ने की

है नाते मोहम्मद में दीवान ख़दीजा का


ज़हरा(स) की अदावत में,अज़मत तेरी कम कर दी

पर कर न सके कुछ भी नुक़सान ख़दीजा का


शाफ़े भी इन्ही का है, साक़ी भी इन्ही का है

मैदान है महशर का मैदान ख़दीजा का


असहाब के सर पर तो, एहसाने मुहम्मद है

है सर पे मुहम्मद के एहसान ख़दीजा का


सामाने अज़ा हों या क़ुरआने मुहम्मद हो

महफूज़ रहेगा सब सामान ख़दीजा का


क़ुरआने मोहम्मद और ये अश्के ग़मे सरवर

हैं मेरी शफाअत को, सामान ख़दीजा का


अहमद से अक़ीदत तो चट्टान से पुख्ता है

परबत से भी ऊंचा है ईमान ख़दीजा का


अज़वाजे पयम्बर का क्या इनसे तक़ाबुल हो

घर बार हुवा दीं पे क़ुरबान ख़दीजा का


इमरान के जुमले से क़ुरआन निकलता था

जब अक़्द पढ़ाते थे इमरान ख़दीजा का


तबलीग़ ओ हिदायत पर उट्ठे जो कलम मीसम

लाज़िम है के  तुम रक्खो उनवान ख़दीजा का


मीसम की दुआ है ऐ! मालिक तू अता कर दे

सदके में मुहम्मद के इरफ़ान ख़दीजा का


मीसम अली हैदरी

रायपुर

25 मई 2021

बुद्धि की ज़रुरत

 इमाम हसन (अ) कहते हैं:

जिसके पास बुद्धि नहीं है उसके पास अदब  नहीं है

और जिसके पास साहस नहीं है उसके पास मुरव्वत  नहीं है

और जिसका कोई दीन  नहीं है, उसे कोई शर्म नहीं है।

समझदारी यही है......


लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें।

दोनों लोकों को बुद्धि से प्राप्त किया जा सकता है

और जिसने अपना दिमाग खो दिया है

वह सब कुछ खो देगा।


कशफ़ुल ग़ुम्मा फी मारेफ़तील अइम्मा , जिल्द १ , सफ़ा 571 

02 मई 2021

जव की रोटी

अमीरुल मोमिनीन  हज़रत अली (अ.स.)  केवल जव की रोटी ही खाते थे । आप गेहूं की रोटी नहीं खाते।

यहां तक ​​कि लोग हैरत  से  पूछते  कि इस कम  खुराक से आप उन लोगों के मुकाबले  बेहतर हैं  जो आपके खिलाफ लड़े थे। आपको इस खोराक में कमज़ोरी महसूस नहीं होती? 

मवला  अली (अ.स.) ने जवाब दिया: 

आगाह रहो, कि सूखे रेगिस्तान में उगने वाले पेड़ों की शाखाएं सख्त होती हैं और जो सब्जियां या पौधे सुंदर दिखते हैं उनकी छाल नाजुक होती है। 

जंगली पौधों और झाड़ियों की आग तेज और टिकाऊ होती है। 

हरे पौदे  एक क्षण में बुझ जाता है नाज़ व् नेमत में पलने वाले पौधे  बेद की तरह हवा के हर झोंके से हिलते और झुकते रहते हैं।