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09 मई 2020

सुलह व शांति


सुलहे इमाम हसन के चौदह सौ साल

इमाम हसन अ.स. की ऐतिहासिक सुलह ने इस्लाम की हिफ़ाज़त की ख़ातिर जो अहम भूमिका निभाई है उसे देख हर अक़्लमंद और मंझा हुआ सियासी इंसान भी आज तक दांतों के नीचे उंगली दबाए हुए है, हालांकि हंगामों की आदी दुनिया ने इस ख़ामोश लेकिन ऐतिहासिक कारनामे को उसका वह हक़ बिल्कुल नहीं दिया जो उसे मिलना चाहिए था, और इमाम हसन अ.स. का यह अज़ीम कारनामा भी आपकी अज़ीम शख़्सियत की तरह मज़लूमियत की भेंट चढ़ गया।


 दुनिया जानती है कि पैग़म्बर स.अ. के पाक व पाकीज़ा गुलिस्तान में जो फ़ज़ीलत और करामत के फूल हैं उनमें हर एक अपनी मिसाल ख़ुद ही है, उस इसमत के घराने का हर शख़्स एक दूसरे को मुकम्मल करने की वजह होने के बावजूद मर्तबे और अदब का ख़्याल रखते हुए अपने दौर का सबसे कामिल और बेहतरीन इंसान है और सबको अपने ओहदे और हालात के हिसाब से अपने कमाल को ज़ाहिर करने का पूरा पूरा हक़ है।
यह पूरे का पूरा फ़ज़ीलत का गुलिस्तान हम इसका ज़िक्र तो क्या उसके बारे में तसव्वुर भी नहीं कर सकते।
जिनमें से इस आर्टिकल में सुलह और बहादुरी की अज़ीम मिसाल इमाम हसन अ.स. का ज़िक्र करना मक़सद है, जो बहुत सारी सिफ़ात और कमालात में अकेले होने के साथ साथ अपनी अनोखी ख़िदमात को लेकर भी बे मिसाल हैं, जिनमें इबादत, इल्म, बहादुरी, सख़ावत, अदब, अख़लाक़ और भी बहुत सारी सिफ़ात शामिल हैं।
संक्षेप में इतना समझ लीजिए कि अकेले आपकी शख़्सियत में वह सारी अच्छाईयां जमा थीं जो सारे नेक लोगों में थीं।
और आपके कारनामे में सबसे अनोखा और ज़्यादा जिसने लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा वह आपका सुलह करना है।
पैग़म्बर स.अ. के दोनों शहज़ादों इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. ने इस्लाम की कश्ती को निजात दिलाने के लिए दो अलग अलग बेहतरीन और नुमायां काम अंजाम दिए हैं जिनके बिना असली इस्लाम तो बहुत दूर शायद उसके नाम भी बाक़ी रहना ना मुमकिन नहीं होता। Read Full

04 मार्च 2012

सरकार हैदर के मकान पर कसीदा की महफिल

कल रात  पारा के  सरकार हैदर रिज़वी  के मकान पर इमाम  हसन अस्करी (अ.स.) के रोज़े विलादत के सिलसिले में एक  कसीदा  की महफिल का इनेकाद किया गया. यहाँ करारी से ताल्लुक रखने वाले मोमिनीन जमा हो गए. ग्यारहवें इमाम की शान में कसीदा और मन्क़बत पढ़ी गई. जिस में डाक्टर अब्बास आलम, तूसी, ज़हीरुल, ज़व्वार, जावेद रिज़वी, हसन इलाहाबादी और शमीम अब्बास ने हिस्सा लिया.
आखिर में मौलाना एहसान हैदर जवादी ने एक मुख़्तसर सी तक़रीर करके प्रोग्राम का इख्तेताम किया.
मुर्ग़ की लज़ीज़ बिरयानी से मोमिनीन ने लुत्फ़ उठाया.
नीचे इसी महफ़िल के दो कलाम का विडियो है, देखिए और comment कीजिए.


28 अगस्त 2010

इमाम हसन (अ.स.) की विलादत के मौके पर एक और कसीदा

इमाम हसन (अ.स.) की विलादत के मौके पर एक और कसीदा जिसे मुफ्ती गंज, लखनऊ के मशहूर शाएर जनाब असद नकवी नसीराबादी ने Mumbai Shia News के ख़ास तौर पर रिकाड करवाया . आप भी उनके खुसूसी अंदाज़ से मेह्जूज़ हों .