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07 मई 2018
04 मई 2018
01 मई 2018
करारी के पास सड़क हादसा
करारी कस्बे के हज़रतगंज मोहल्ला निवासी चांद का बाइस वर्षीय पुत्र मोहम्मद आसिफ 5 बजे सुबह कार से इलाहबाद जा रहा था कि सराय अकिल थाना क्षेत्र के कुण्डरी गाँव के समीप जानवर को बचाने के चक्कर में कार पेड़ से टकरा गई जिससे चालक आसिफ की मौके पर मौत हो गई। और एनब रिज़वी पुत्र सैदुल हसन को गंबीर चोटें आई हैं जिसे जिसे जिला अस्पताल मंझनपुर भेजा गया। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने लिखा पढ़ी कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया ।
रिपोर्ट-मेराज शेख़ करारी कौशाम्बी।
मो.न.-8115771619
16 दिसंबर 2012
05 सितंबर 2012
10 अप्रैल 2012
फर्ज़ान्दाने अबरार हुसैन मरहूम (प्यारे बाबा)
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07 अप्रैल 2012
मरहूम मोहम्मद असगर
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26 मार्च 2012
शकील रिज़वी को मुबारक हो
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03 दिसंबर 2011
फाटक में शबीहे ताबूत
फाटक का इमामबाडा बहुत क़दीम है. यहाँ पर हिन्दोस्तान के बड़े बड़े जाकेरीन ने खिताबत की है. इस साल मरहूम हिदायत हुसैन उर्फ़ हिद्दन के फरजंद की ज़िम्मेदारी है की वोह मजालिस को बरपा करें. वोह कर भी रहे हैं.
मौलाना जवाद हैदर साहब ज़ाकरी फरमा रहे हैं. आज रात फाटक से शबीहे ताबूत बरामद होंगे.
मौलाना जवाद हैदर साहब ज़ाकरी फरमा रहे हैं. आज रात फाटक से शबीहे ताबूत बरामद होंगे.
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मौलाना जवाद हैदर साहब खिताब करते हुए. |
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कर्बला की जानिब जाने वाला जुलूसे अजा
छे मुहर्रम को अकील अब्बास के घर से (चमन गंज) कर्बला के लिए दो पहर ३ बजे जुलूस अजा बरामद होता है.
इस जुलूस में शबिहे ज़ुल्जनाह भी साथ होता है.
अंजुमन की कोई क़ैद नहीं है. साहेबे बयाज़ नौहा पढ़ते हैं और अज़ादार मातम करते हुए कर्बला कि जानिब बढ़ते हैं.
इस का शुमार क़दीमी जुलूस में होता है. मरहूम एजाज़ अब्बास उर्फ़ मुन्ने साहब बहुत एहतिमाम किया करते थे. अब भी यह बड़ी शानो शौकत से बरामद किया जाता है.
सूरज डूबते ही अपनी मंजिल कर्बला पहुँच जाता है.
कर्बला में इदारे इस्लाम की जानिब से जनाब राशिद रिज़वी के जेरे इंतज़ाम चाय की सबील लगती है. चाय की इस सबील की शुरूआत मरहूम सय्यद गुलाम हसनैन करारवी ने तकरीबन 18 साल पहले की थी. पहले यह चाय अबुल हसन की चक्की के आगे बनी जाती थी. लेकिन जब इस की तकसीम से जुलूस में बाधा आने लगी तो इसे कर्बला में मुन्ताकिल कर दिया गया.
पहली से दस मुहर्रम में कर्बला में ख़त्म होने वाले चार जुलूस हैं.
मुहर्रम की पांच, छे, सात और रोज़े आशुरा का जुलूस.
इस जुलूस में शबिहे ज़ुल्जनाह भी साथ होता है.
अंजुमन की कोई क़ैद नहीं है. साहेबे बयाज़ नौहा पढ़ते हैं और अज़ादार मातम करते हुए कर्बला कि जानिब बढ़ते हैं.
इस का शुमार क़दीमी जुलूस में होता है. मरहूम एजाज़ अब्बास उर्फ़ मुन्ने साहब बहुत एहतिमाम किया करते थे. अब भी यह बड़ी शानो शौकत से बरामद किया जाता है.
सूरज डूबते ही अपनी मंजिल कर्बला पहुँच जाता है.
कर्बला में इदारे इस्लाम की जानिब से जनाब राशिद रिज़वी के जेरे इंतज़ाम चाय की सबील लगती है. चाय की इस सबील की शुरूआत मरहूम सय्यद गुलाम हसनैन करारवी ने तकरीबन 18 साल पहले की थी. पहले यह चाय अबुल हसन की चक्की के आगे बनी जाती थी. लेकिन जब इस की तकसीम से जुलूस में बाधा आने लगी तो इसे कर्बला में मुन्ताकिल कर दिया गया.
पहली से दस मुहर्रम में कर्बला में ख़त्म होने वाले चार जुलूस हैं.
मुहर्रम की पांच, छे, सात और रोज़े आशुरा का जुलूस.
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हज़रत अब्बास (अ.स.) की दरगाह |
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चाय का एहतिमाम |
29 मार्च 2011
महफिले सक्काए सकीना में मजलिस
गुज़िश्ता इतवार 27 मार्च को मीरा रोड मुंबई में मरहूम एहसान फातेमा का चेहलुम मुनाकिद हुआ जिस में मौलाना सय्यद हसनैन करारवी ने खेताबत फ़रमाई. यह मजलिस महफिले सक्काए सकीना में थी.
नीचे विडियो में उस मजलिस का एक हिस्सा दिखाया गया है.
26 मार्च 2011
बनी हाशिम का कब्रस्तान, वादिस सलाम
यह तस्वीरें करारी में बनी हाशिम का कब्रस्तान, वादिस सलाम की हैं. गुज़िश्ता मुहर्रम (1432 ) 2010 में इस कब्रस्तान में 12 मुहर्रम को मौलाना रज़ा हैदर साहब ने मरहूम सय्यद ग़ुलाम हसनैन करार्वी के कब्र के सरहाने मजलिस पढ़ी थी .
03 मार्च 2011
आज तालाब्पर में छोक्कन भाई सिपुर्दे ख़ाक
असगर अब्बास ( छोक्कन ) इब्ने ज़व्वार हुसैन का कल 11 .00 बजे दिन में इलाहबाद के अस्पताल में इन्तेकाल हो गया था. आज तकरीबन 11 .00 बजे दिन में तालाब्पर में उनकी तद्फीन हो गई. मरहूम के दो फ़रज़न्द हैं. छोक्कन भाई बहुत ही खुश मिज़ाज थे. अक्सर मजालिस में सोज़ खानी किया करते थे. अल्लाह ताआला उन्हें जवारे मासूमीन में जगह अता करे.
आप से सुरह फातेहा की दरख्वास्त है. और साथ ही मगरिब की नमाज़ के बाद नमाज़े वहशत पढना न भूलें.
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16 फ़रवरी 2011
आलम भाई की अहलिया का इन्तेकाल
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10 फ़रवरी 2011
मोलानी: जुलूसे अमारी
04 फ़रवरी 2011
इमामबाड़ा कादिर अली में मजलिसो ताबूत
28 जनवरी 2011
मरहूम मज्जन वकील का चेहलुम 30 जनवरी को
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मरहूम सय्यद मजहर अब्बास रिज़वी (मज्जन वकील) |
मरहूम अच्छे शाएरे अहलेबैत (अ.स.) थे. उनके नौहों का मजमुआ 'सहाबे ग़म' उर्दू में छप चुका है और हिंदी ज़बान में आने वाला है.
मज्जन साहब एक कामयाब वकील थे. करारी जब 'टाउन एरिया ' घोषित हुआ तो आप ने भी चैरमैन के चुनाव में किस्मत आजमाई. लेकिन मौला से मोक़बला न कर सके. चुनावी पंडितों का ख़याल है की चुनाव प्रचार में ही वोह इन्साफ और बराबरी की बात करने लगे थे.
इन्साफ और बराबरी की बात बिरादरी से हज्म नहीं हो सकती. लोकतंत्र में नेता बनना है हो इन्साफ और बराबरी काम नहीं आती. लोकतंत्र में चापलूसी, ठगी, दोखा, फरेब, झूट, बेईमानी वगैरा की आवश्यकता होती है. इन्साफ और बराबरी आदमी अपने घर में लागू नहीं कर सकता. तो समाज में कैसे मुमकिन है.
ईमान दारी के चुनाव निशान पर कोई मोहर नहीं लगाता है. नेता बनना है तो अपने को नीचा दिखाना होगा, घपला करने की सलाहियत पैदा करना पड़ेगी, अपनी ही कौम के घरों को नज़रे आतिश करवाने की हिम्मत जुटानी होती है. मुजरिमाना ज़ेहनियत का हामिल होना होता है.
मरहूम मज्जन वकील इन सब मीजान पर पुरे नहीं उतर सके इसी लिए चैरमैनी का चुनाव हार गए और फिर कभी इस मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं की.
मरहूम का चेहलुम 30 जनवरी को शहर इलाहबाद में करेली कालोनी के लगन पैलेस में सुबह दस बजे है. आप लोगों से शिरकत की गुजारिश है. अगर शिरकत मुमकिन न हो तो एक सुरह फातेहा से याद कर लें.
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23 जनवरी 2011
मरहूम चाँद भाई (असग़र अब्बास) का चेहलुम
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मरहूम असग़र अब्बास (चाँद भाई) |
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19 जनवरी 2011
इम्तिआज़ हैदर अस्पताल में
अम्बाही के इम्तिआज़ हैदर जिन्हें पप्पू के नाम से जाना जाता है का दिल का कामयाब आपरेशन गुज़िश्ता सनीचर को मुंबई के इस्माईलिया अस्पताल में हो गया. उनके दिल के पांचो वाल्व ठीक किये गए. अलहम्दो लिल्लाह अब वोह ठीक हैं. और जल्द ही वसई में अपने घर चले जाएँगे. अल्लाह ताआला उन्हें जल्द सिहत्याब करे. इम्तियाज़ हैदर उर्फ़ पप्पू , मरहूम शफी हैदर के सब से छोटे फ़रज़न्द और हाजी ज़की हैदर (मीरा रोड) के सब से छोटे भाई हैं. आप लोगों से गुज़ारिश है की इम्तियाज़ की सेहत के लिए दुआ करें.
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08 जनवरी 2011
पानी पियो और इमाम हुसैन (अ.स.) की प्यास को याद करो
इमाम जाफर सादिक (अ.स.) ने कहा के ऐ दावूद ! इमाम हुसैन (अ.स.) के क़ातिलों पर लानत भेजो . कोई बंद ऐसा नहीं है जो पानी पीने के बाद इमाम हुसैन (अ.स.) को याद करे और उनके कातिलों पर लानत भेजे तो अल्लाह तआला उसके आमाल में एक लाख नेकियाँ दर्ज करता है, एक लाख गुनाह माफ़ करता है और उसका दर्जा एक लाख गुना बढ़ा देता है. क़यामत के रोज़ अल्लाह तआला उसके दिल को इत्मीनान ओ सुकून बख्शेगा.
(कामिलुज़ ज़ियारात, ३४ वाँ बाब, हदीस १, सफहा 346 )
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