दबीर सीतापुरी का शुमार हिन्दुस्तान के मशहूर शाएरों में होता है. मरहूम अपना कलाम तरन्नुम में पढ़ा करते थे और खूब पढ़ते थे. जब वोह कोई कसीदा पढ़ते थे तो सुनने वाला भी झूम उठता था. इमामे ज़माना (अ.स.) के सिलसिले में उनकी नज़्म "अधूरा इंतज़ार " ने खूब शोहरत पाई थी. आज ईदे ग़दीर के मौके पर उनकी आवाज़ में ही उनका कलाम जो उन्हों ने ग़दीर के 1400 साल मोकम्मल होने पर केसर बाग़ में पढ़ी थी, पेश कर रहे हैं. विडियो ना मिलने पर उनकी आवाज़ को तसावीर में ज़म किया है. अल्लाह मरहूम की आवाज़ पर रहमत नाजिल करे. इमकानात पूरे हैं की इस वक़्त वोह अपना कसीदा आलमे बरज़ख में मोमिनीन अर्वाह को सुना कर उन्हें मेह्जूज़ कर रहे हों. इस आलमे दुनिया में आप भी सुनें और मसरूर हों.
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25 नवंबर 2010
13 नवंबर 2010
मजलिसे तर्हीम
कल इतवार 14 नवम्बर को नमाज़े जोहर से पहले शिया जामा मस्जिद में मर्हूमा ततहीर फातेमा बिन्ते रमजान हुसैन की ईसाले सवाब की मजलिस है. खिताबत इमामे जुमा व जमात मौलाना अली ज़फर काजमी साहब करेंगे. मर्हूमा का इन्तेकाल और तद्फीन पिछले जुमा को हुई थी. मोमिनीन से शिरकत की दरख्वास्त की गई है. जो इस मजलिस मैं शरीक नहीं हो सकते उनसे सुअराए फातेहा की गुजारिश है.
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