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22 दिसंबर 2012

ज़हनों में यह आवाज़ गूंजेगी बरसों

मरहूम सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी का आठ रबिउल अव्वल में पढ़ा नौहा।

13 फ़रवरी 2011

करारी में जुलूसे अमारी: 2011

इलाहबाद दोआबा इलाके में, बल्कि अगर यह कहा जाए की पूरे उत्तर भारत में, या फिर पूरे हिन्दुस्तान में आठ रबीउल अव्वल को अमारी का जुलूस इस तरह नहीं बरामद होता जिस तरह करारी में होता है. जुलूस का नज़्म इतना आला है की दूर दराज़ से लोग इसकी ज़ियारत करने आते हैं.
शबीहे तबर्रुकात तो हर जगह मिल जाएंगी लेकिन शाम क़ैद खाना जैसी शबीह कहीं न मिलेगी. शबीह बरामद होते हुए तक़रीर हर जगह होगी लेकिन हामिद चचा के मुनफ़रिद अंदाज़ में कहीं सुनने न मिलेगा. मैदान में तक़रीर और नौहा पढने के लिए तख़्त मिल जाएंगे लेकिन यहाँ जैसा स्टेज  कहीं नज़र न आएगा.
इस जुलूस की कामयाबी का राज़ कारकुनान का  ख़ुलूस है. दिन रात मेहनत के बाद ही यह यादगार बनता है. Volunteer हजरात अपना बिल्ला फखरिया लगाए हुए अपने अपने कामों में  मसरूफ रहते हैं.
तश्हीर के लिए रंगीन और खुबसूरत हैंड बिल लोगों की तवज्जो अपनी तरफ खींचता हैं. जिस की वजह से अत्राफो अक्नाफ के साथ साथ बीरुनी मोमिनीन भी शिरकत करते हैं.
मौसम की शदीद ठंडक की वजह से जुलूस बरामद होने में ताखीर हो गई. पहली मजलिस के बाद जुमा की नमाज़ अदा की गई और फिर शबीहें बरामद हुईं. मेरठ से आए साहेबे बयाज़ ने बहुत अच्छा नौहा पढ़ कर माहौल को गरमा दिया. मीसम गोपालपुरी जो कई बरसों से मुसलसल शिरकत कर के नौहा पढ़ रहे थे इस साल किसी वजह से करारी नहीं पहुँच सके. खवातीन शबीहे ज़िन्दाने शाम की ज़ियारत मोकम्मल कर के अश्कबार आँखों से बाहर आतीं.
अब्बास रिज़वी के दिल्सोज़ नौहे ने अज़दारों को रुला दिया. ऐनुर रेज़ा (हुसैन) ने निजामत के फराएज़ अपने खुबसूरत अंदाज़ में अदा किए. इस तरह करारी वालों ने कर्बला से मदीना पहुंचे लुटे हुए काफले की याद मनाते हुए "कर्बला में सोनेवालो माहपारो  अलविदा " का नौहा पढ़कर पुर जोश मातम करते हुए अय्यामे अज़ा को अलविदा कहा. 

16 फ़रवरी 2010

Juloos-e-Amaari in Karari on 22nd Feb 2009

The famous Juloose Amaari in Karari, Allahabad is on 8th Rabiul Awwal which falls on Monday, 22nd Feb 2009. This is its 44th year. Guest and local Speakers. Guest and local nauha recitors. shabeehe mubarak of parchame Abbas (a.s.), Qabre Sakina, Amaari, Gehwara, Tabut and Zindaane Shaam are the main attraction of this Juloos. Those Kararians who want to contribute fund to this Juloos can transfer their amount to:

Ajuman Asgharia, Bank of Baroda, current a/c 10086, Karari Branch, Koshambee.
For more detail contact Ajaz Asghar cell no. 09335871112

21 फ़रवरी 2009

Juloos-e-Amaari

The much awaited day of Juloos-e-Amari is approaching. It is on 5th of March 2008 at Karari, Koshambi (Allahabad). It will start from 7.00 am and will end by 4.00 pm. There will be Shabeeh of Amaari, Tabut, Zuljanaah, Qabre Sakina & Zindan-e-Shaam (prison).
There will be Guest Zakereen, Nauhakhan Janab Aamir Utraulwi, Meesam Gopalpuri and Anjumans.