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07 जनवरी 2012
01 दिसंबर 2010
करारी के नौजवान शाएर: रिजवान
कम सुखन, खामोश तबियत, खोदा तर्स और खुश अखलाक, यह हैं इस नौजवान शाएर की सिफात. बॉम्बे में नौ साल बैंक में मुलाज़मत करने के बाद रिजवान इस्तीफा देकर करारी आ गए और करारी की बाज़ार में एक छोटी सी जूता और चप्पल की दूकान खोल ली. शैरी भी करते रहे मगर अभी करारी वालों ने उनके ख़याल नहीं सुना. एक दो महफिलें की हैं. इरादे बुलंद हैं. अल्लाह इन्हें कामयाब करे. असल गाँव इनका दर्यापुर मंझ्यावान है और शेर हमदर्द इलाहाबादी के नाम से कहते हैं.
लिजीये आप खुद उनकी ज़बानी सुनें. चूंके दूकान के करीब भजन कीर्तन का प्रोग्राम हो रहा था इस लिए आप को तवज्जो से सुनना होगा.
लिजीये आप खुद उनकी ज़बानी सुनें. चूंके दूकान के करीब भजन कीर्तन का प्रोग्राम हो रहा था इस लिए आप को तवज्जो से सुनना होगा.
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