इमाम हसन अ.स. की ऐतिहासिक सुलह ने इस्लाम की हिफ़ाज़त की ख़ातिर जो अहम भूमिका निभाई है उसे देख हर अक़्लमंद और मंझा हुआ सियासी इंसान भी आज तक दांतों के नीचे उंगली दबाए हुए है, हालांकि हंगामों की आदी दुनिया ने इस ख़ामोश लेकिन ऐतिहासिक कारनामे को उसका वह हक़ बिल्कुल नहीं दिया जो उसे मिलना चाहिए था, और इमाम हसन अ.स. का यह अज़ीम कारनामा भी आपकी अज़ीम शख़्सियत की तरह मज़लूमियत की भेंट चढ़ गया।
यह पूरे का पूरा फ़ज़ीलत का गुलिस्तान हम इसका ज़िक्र तो क्या उसके बारे में तसव्वुर भी नहीं कर सकते।
जिनमें से इस आर्टिकल में सुलह और बहादुरी की अज़ीम मिसाल इमाम हसन अ.स. का ज़िक्र करना मक़सद है, जो बहुत सारी सिफ़ात और कमालात में अकेले होने के साथ साथ अपनी अनोखी ख़िदमात को लेकर भी बे मिसाल हैं, जिनमें इबादत, इल्म, बहादुरी, सख़ावत, अदब, अख़लाक़ और भी बहुत सारी सिफ़ात शामिल हैं।
संक्षेप में इतना समझ लीजिए कि अकेले आपकी शख़्सियत में वह सारी अच्छाईयां जमा थीं जो सारे नेक लोगों में थीं।
और आपके कारनामे में सबसे अनोखा और ज़्यादा जिसने लोगों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा वह आपका सुलह करना है।
पैग़म्बर स.अ. के दोनों शहज़ादों इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. ने इस्लाम की कश्ती को निजात दिलाने के लिए दो अलग अलग बेहतरीन और नुमायां काम अंजाम दिए हैं जिनके बिना असली इस्लाम तो बहुत दूर शायद उसके नाम भी बाक़ी रहना ना मुमकिन नहीं होता। Read Full
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