किताब "मन ला यहज़ुर" में हज़रत अली (अ.स.) से मन्कूल है, आप ने फ़रमाया:
यहूदियों का एक गिरोह रसूले ख़ुदा (स.अ.) की खिदमत में हाज़िर हुआ. उनके आलिम ने हज़रत से कुछ मसाएल पूछे, उन में एक मसला यह भी था के अल्लाह तआला ने आप की उम्मत पर तीस गिन के रोज़े क्यूँ फ़र्ज़ किए जब की दूसरी उम्मतों पर इससे ज़्यादा रोज़े फ़र्ज़ थे?
उन हज़रत (स.अ.) ने फ़रमाया:
जब हज़रत आदम ने शजरे मम्नूआ का फल खाया तो वह तीस दिनों तक उनके पेट में बाक़ी रहा, इस लिए अल्लाह तआला ने उनकी औलाद के लिए तीस दिन तक खाना पीना मम्नू करार दिया. रात के वक़्त खाने की इजाज़त अल्लाह तआला का खुसूसी एहसान है और यही एहसान आदम पर भी किया गया था.
(तफसीरे नूरुस सक़लैन, जिल्द 2 सफहा 118 )
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