26 अप्रैल 2020

अबू लहेब का हश्र


 रवायात में आया है के बद्र की जंग में क़ुरैश के मुश्रिकीन को  बुरी हार के हुई।  
अबू लहब इस जंग में शरीक नहीं था।  
जंग में हारे अबू सुफियान से रिपोर्ट मांगी।  
अबू सुफियान ने क़ुरैश की हार बयान की और कहा के इस जंग में आसमान और ज़मीन के दरमियान  ऐसे सवार देखे जो मोहम्मद की मदद के लिए आये थे। 
इस मौक़े पर अब्बास के एक ग़ुलाम "अबू राफ़े" ने कहा; मैं वहां बैठा हुआ था उसने अपने हाथ उठाते  हुए कहा: वह आसमानी फ़रिश्ते थे। 
इस पर अबू लहब भड़क उठा और उसने एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा और ज़मीन पर पटक दिया और अपनी भड़ास निकालने के लिए अबू राफे को पीटे जा रहा था। 
वहाँ अब्बास की बीवी "उम्मुल फ़ज़्ल" भी मौजूद थी। उसने एक छड़ी उठाई और अबू लहब के सर पर दे मारी और कहा : क्या तूने इस कमज़ोर आदमी को अकेला समझा है?
अबू लहब का सर फट गया और उस से खून बहने लगा। 
सात दिन के बाद अस के बदन में बदबू पैदा हो गई , उसके मुंह पर ताऊन के दाने निकल आये और वह उसी बीमारी से वासिले जहन्नम हो गया। 
उसके बदन से इतनी बदबू आ रही थी के लोग उसके नज़दीक जाने की जुरअत नहीं करते थे। 
उसे मक्का से बाहर ले जाया गया और दूर से उस पर पानी डाला और उस के बाद उसपर पथ्थर फेंके , यहाँ तक के उस का नजिस बदन पथ्थर और मिटटी के नीचे छुप गया। 

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