23 फ़रवरी 2011

Architect का नौहा

शम्सुल रिज़वी, एक कामयाब architect ही नहीं बल्कि एक अच्छे नौहा खान भी हैं. आप जनाब वजीर हैदर रिज़वी ( Kobe ) के छोटे फरजंद. अपने गाँव अन्डेहरा से बेहद लगाओ है. एक ख़ूबसूरत इमामबाडा भी बनवाया है. हर साल मुहर्रम के पहले अश्रे में वहीँ मओजूद रहते हैं.
जनाब अबू तालिब (अ.स.) के सिलसिले में एतेराज़ात पर जवाब देते हुए एक किताब "बोहतान" के नाम से तरतीब दी है. 
यह विडियो बम्बई में सफ़र के महीने में अँधेरी में मुनाकिद एक मजलिसे अज़ा में नौहा पढ़ते हुए का है.

21 फ़रवरी 2011

हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) और हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स.) की यौमे पैदाइश

आज 17 रबीउल अव्वल, रोज़े विलादते हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) और हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स.). आप सभी लोगों को बहुत बहुत मुबारकबाद.  
रिसालत और इमामत आज हैं जलवा नुमा दोनों 

19 फ़रवरी 2011

मालोनी कालोनी मलाड में जश्ने मीलाद

आज रात मालोनी कालोनी मलाड, बम्बई  में इलाहाबाद की अंजुमन, अंजुमने मुहाफ़िज़े इस्लाम ने 17 रबीउल अव्वल की मुनासेबत से एक महफिले मुक़ासिदा का इनेकाद किया है. रात 8 .30 यह प्रोग्राम शुरू हो जाएगा. यह उसका पोस्टर है.: 
 

17 फ़रवरी 2011

हाई ब्लड प्रेशर और शुगर दो खतरनाक बीमारियाँ

कल बुध को मरहूमाँ   एहसान फातेमा बिन्ते अफसर हुसैन की तद्फीन मीरा रोड, बम्बई , के कब्रस्तान में हो गई. घर वालों का कहना था की सब कुछ एक-दो घंटों में हो गया. आलम भाई अपनी शरीके हयात को खो देने पर बहुत ग़मगीन थे. तशिए जनाज़ा में काफी तादाद में लोग मौजूद थे. नमाज़े जनाज़ा हैदरी मस्जिद के पेश इमाम ने पढाई लेकिन उससे क़ब्ल मौलाना एहसान हैदर साहब ने एक मुख़्तसर खिताब किया और जनाबे मासूमए  कौनैन (स.अ.) के मसाएब पढ़े. 
घर वालों से गुफ्तगू करने पर मालूम हुआ की मरहूमा हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की मरीजा थीं. इस से यह बात सामने आती हाई की "सब कुछ अचानक" हुआ नहीं कहा जा सकता. आज की तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में अपनी सेहत की तरफ तवज्जो देना ज़रूरी है.
हाई ब्लड प्रेशर और शुगर इस दौर की सब से खतरनाक बीमारियाँ हैं. इन्हें नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता. यह दोनों बीमारियाँ जेहनी तनाव की वजह से वुजूद में आती हैं. चालीस साल की उम्र के बाद इन दोनों का चेक अप कराना चाहिए और अगर हाई ब्लड प्रेशर पाया जाए तो फ़ौरन इलाज शुरू कर दे. वरना शुगर हाई ब्लड प्रेशर के पीछे पीछे आती हाई. अपना इलाज खुद न करे बल्कि डॉक्टर की सलाह ले.
खाना इस हिसाब से खाए की ब्लड प्रेशर में वोह मुआविन न हो. मसलन, बड़े जानवर का गोश्त, ज्यादा नमकीन चीज़ें खाने से परहेज़ करे, जैसे दल मोठ, वेफर वगैरा. जेहनी तनाव से दूर रहने के लिए दोआ ज्यादा पढ़े और अल्लाह पर भरोसा रखे. पंद्रह बीस दिनों में ब्लड प्रेशर चेक करवाए.
शुगर का मरीज़ शकर से परहेज़ करे, ख़ास तौर पर शकर की चाए से. शरबत और कोल्ड ड्रिंक फ़ौरन शुगर बढा देते हैं. शुगर हाए होने से गुर्दे पर असर पड़ता है. पानी ज्यादा से ज्यादा पियें. अगर कुनकुना पानी करके पियें तो ज्यादा बेहतर है. 
डॉक्टर या हकीम से इलाज करें. इन बीमारियों में परहेज़ ही इलाज है. ऐसे भी शुगर के मरीज़ हैं जो 40 - 50  साल से जियादा से इस बीमारी में मुब्तिला हैं और आम  ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं.
लालच और बदपरहेज़ी ही बीमारियों को बढ़ाती है. ईलाज में काएदे से पैसे खर्च करवाती है. अच्छी सेहत के लिए पैग़म्बरे इस्लाम ने एक आसान नुस्खा बताया है, वोह है "पेट भर कर न खाना". और यह भी कहा है की "सूमू तुसेहू" रोज़ा रखो सेहतमंद रहो (माहे रमजान के अलावा भी).
क्यूंकि जान है तो जहान है.   

16 फ़रवरी 2011

आलम भाई की अहलिया का इन्तेकाल

आज सुबह 4 बजे के करीब मीरा रोड में तालाबपर के  आलम भाई की शरीके हयात दिल का दौरा पड़ जाने की वजह से इन्तेकाल कर गईं. तद्फीन मीरा रोड के कब्रस्तान में ज़ोहर के बाद होगी. सहीह वक़्त मालूम करने के लिए मौलाना अब्बास आलम से 9821193390 पर राबता किया जा सकता है. 

13 फ़रवरी 2011

करारी में जुलूसे अमारी: 2011

इलाहबाद दोआबा इलाके में, बल्कि अगर यह कहा जाए की पूरे उत्तर भारत में, या फिर पूरे हिन्दुस्तान में आठ रबीउल अव्वल को अमारी का जुलूस इस तरह नहीं बरामद होता जिस तरह करारी में होता है. जुलूस का नज़्म इतना आला है की दूर दराज़ से लोग इसकी ज़ियारत करने आते हैं.
शबीहे तबर्रुकात तो हर जगह मिल जाएंगी लेकिन शाम क़ैद खाना जैसी शबीह कहीं न मिलेगी. शबीह बरामद होते हुए तक़रीर हर जगह होगी लेकिन हामिद चचा के मुनफ़रिद अंदाज़ में कहीं सुनने न मिलेगा. मैदान में तक़रीर और नौहा पढने के लिए तख़्त मिल जाएंगे लेकिन यहाँ जैसा स्टेज  कहीं नज़र न आएगा.
इस जुलूस की कामयाबी का राज़ कारकुनान का  ख़ुलूस है. दिन रात मेहनत के बाद ही यह यादगार बनता है. Volunteer हजरात अपना बिल्ला फखरिया लगाए हुए अपने अपने कामों में  मसरूफ रहते हैं.
तश्हीर के लिए रंगीन और खुबसूरत हैंड बिल लोगों की तवज्जो अपनी तरफ खींचता हैं. जिस की वजह से अत्राफो अक्नाफ के साथ साथ बीरुनी मोमिनीन भी शिरकत करते हैं.
मौसम की शदीद ठंडक की वजह से जुलूस बरामद होने में ताखीर हो गई. पहली मजलिस के बाद जुमा की नमाज़ अदा की गई और फिर शबीहें बरामद हुईं. मेरठ से आए साहेबे बयाज़ ने बहुत अच्छा नौहा पढ़ कर माहौल को गरमा दिया. मीसम गोपालपुरी जो कई बरसों से मुसलसल शिरकत कर के नौहा पढ़ रहे थे इस साल किसी वजह से करारी नहीं पहुँच सके. खवातीन शबीहे ज़िन्दाने शाम की ज़ियारत मोकम्मल कर के अश्कबार आँखों से बाहर आतीं.
अब्बास रिज़वी के दिल्सोज़ नौहे ने अज़दारों को रुला दिया. ऐनुर रेज़ा (हुसैन) ने निजामत के फराएज़ अपने खुबसूरत अंदाज़ में अदा किए. इस तरह करारी वालों ने कर्बला से मदीना पहुंचे लुटे हुए काफले की याद मनाते हुए "कर्बला में सोनेवालो माहपारो  अलविदा " का नौहा पढ़कर पुर जोश मातम करते हुए अय्यामे अज़ा को अलविदा कहा. 

10 फ़रवरी 2011

मोलानी: जुलूसे अमारी

आज रहीमपुर मोलानी में जुलूसे अमारी बरामद हुए. माजिद सय्यद ने  My Karari को यह तस्वीरें रवाना की हैं.



09 फ़रवरी 2011

रहीमपुर मोलानी में जुलूसे अमारी

 इंशाअल्लाह कल 10 फरवरी को करारी से तक़रीबन 3 की मि दूर रहीमपुर मोलानी में हस्बे दस्तूरे क़दीम जुलूसे अमारी बड़ी शानो शौकत से बरामद होगा. इस जुलूस में बीरुनी और मकामी अन्जुमनें शरीक होकर नौहाओ मातम करती हैं.
शबीहे ताबूत, ज़ुल्जनाह, अलम  और अमारी बरामद होती  हैं. यह जुलूस सुबह दस बजे बरामद होकर शाम को तक़रीबन 4  बजे इखतिताम पजीर होता है. ज़ुल्जनाह हो बहुत ख़ूबसूरत तरीके से सजाया जाता है और उसके जेवरात काबिले दीद होते हैं.
अंजुमने तब्लीगे इस्लाम इस जुलूस की तय्यारी कई माह पहले से शुरू कर देती है.
अगर आप इलाहाबाद के आस पास हैं तो जुलूस में शरीक होना न भूलें.


08 फ़रवरी 2011

फुफा सय्यद नासिर हुसैन का इन्तेकाल

इन्ना लिल्लाहे व इन्ना ईलैहे राजेऊन 
रात तक़रीबन 12 बजे, हमारे फुफा सय्यद नासिर हुसैन इब्ने सय्यद नाज़िर हुसैन का ज़ईफी की वजह से इन्तेकाल होगया. मरहूम की उम्र 90 साल से बाला थी. फूफी का इन्तेकाल अगस्त 2004 में हुआ था.
मरहूम मेहनतकश इंसान थे. जमशेदपुर  में टाटा स्टील में मुलाजिम थे और अपने बचे हुए वक़्त में अपने भाई आक़ा हसन के साथ  पेट्रोमाक्स की दूकान चलाते थे.
मिज़ाज में इन्केसार, मोहब्बत, तवाज़ो, अकरबा परवरी और इखलास भरा हुआ था. कभी किसी ने उन्हें तैश में आते नहीं देखा. सब्रो तहम्मुल पर मलका रखते थे. अल्लाह तअला ने 5 लड़कियों की शक्ल में रहमत अता की थी.  कोई फ़रज़न्द न होने की कभी ज़बान पर शिकायत नहीं आई.
डा बेताब, सुब्बन, मज्जन, मौलाना रज़ा हैदर और रुशेद, मरहूम के दामाद हैं. भाई जावेद उनकी इकलौती बहेन के दामादे अकबर हैं.    
पर्वारदेगार मरहूम को जवारे अहले बैत (अ.स.) में जगह अता करे. आज शाम 3 बजे  करारी की कर्बला में तद्फीन होगी. आप लोगों से गुजारिश है की नमाज़े मग़रिब के बाद नमाज़े वहशत ज़रूर पढ़ें और फिलवक्त एक सुरह फातेहा से बख्श दें.
दाएं में मरहूम नासिर फुफा भाई जावेद के साथ. दो महिना पहले की तस्वीर

04 फ़रवरी 2011

इमामबाड़ा कादिर अली में मजलिसो ताबूत

 सनीचर  5 फरवरी को  करारी के इमामबाड़ा कादिर अली में  सुबह 9 बजे 18 ताबूते बनी हाशिम बरामद होंगे. यह शबीहे ताबूत मौलाना अली ज़फर साहब की मजलिस के बाद बरामद होंगे. मोमिनीन से शिरकत की दरख्वास्त है.  

03 फ़रवरी 2011

आज ज़ेगामुर रिज़वी साहब का खिताब

अय्यामे अज़ा के चंद रोज़ बाक़ी बचे हैं. हर जगह अज़ादाराने इमाम ने मजलिस, मातम और नौहों में इजाफा कर दिया है. करारी में भी इन्हीं ताज़ियाती तक्रीबात तेज़ हो गई हैं.
आज जुमेरात, रात 7 बजे, अल्लामा जवादी रोड पर वाके जावेद भाई के मकान पर मजलिसे सय्यिदे शोहादा का एहतिमाम किया गया है जिस मौलाना ज़ेगामुर रिज़वी साहब खिताब फरमाएंगे.
मजलिस में शिरकत करके मासूमए कौनैन (स.अ.) को उनके फ़रज़न्द और परदए गएबत में इमाम (अ.स.) को उनके जद्द का पुरसा दें.
हमारे वालिदे मरहूम, ग़ुलाम हसनैन करार्वी को एक सुरह फातेहा से याद कर लें.