कल बुध को मरहूमाँ एहसान फातेमा बिन्ते अफसर हुसैन की तद्फीन मीरा रोड, बम्बई , के कब्रस्तान में हो गई. घर वालों का कहना था की सब कुछ एक-दो घंटों में हो गया. आलम भाई अपनी शरीके हयात को खो देने पर बहुत ग़मगीन थे. तशिए जनाज़ा में काफी तादाद में लोग मौजूद थे. नमाज़े जनाज़ा हैदरी मस्जिद के पेश इमाम ने पढाई लेकिन उससे क़ब्ल मौलाना एहसान हैदर साहब ने एक मुख़्तसर खिताब किया और जनाबे मासूमए कौनैन (स.अ.) के मसाएब पढ़े.
घर वालों से गुफ्तगू करने पर मालूम हुआ की मरहूमा हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की मरीजा थीं. इस से यह बात सामने आती हाई की "सब कुछ अचानक" हुआ नहीं कहा जा सकता. आज की तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में अपनी सेहत की तरफ तवज्जो देना ज़रूरी है.
हाई ब्लड प्रेशर और शुगर इस दौर की सब से खतरनाक बीमारियाँ हैं. इन्हें नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता. यह दोनों बीमारियाँ जेहनी तनाव की वजह से वुजूद में आती हैं. चालीस साल की उम्र के बाद इन दोनों का चेक अप कराना चाहिए और अगर हाई ब्लड प्रेशर पाया जाए तो फ़ौरन इलाज शुरू कर दे. वरना शुगर हाई ब्लड प्रेशर के पीछे पीछे आती हाई. अपना इलाज खुद न करे बल्कि डॉक्टर की सलाह ले.
खाना इस हिसाब से खाए की ब्लड प्रेशर में वोह मुआविन न हो. मसलन, बड़े जानवर का गोश्त, ज्यादा नमकीन चीज़ें खाने से परहेज़ करे, जैसे दल मोठ, वेफर वगैरा. जेहनी तनाव से दूर रहने के लिए दोआ ज्यादा पढ़े और अल्लाह पर भरोसा रखे. पंद्रह बीस दिनों में ब्लड प्रेशर चेक करवाए.
शुगर का मरीज़ शकर से परहेज़ करे, ख़ास तौर पर शकर की चाए से. शरबत और कोल्ड ड्रिंक फ़ौरन शुगर बढा देते हैं. शुगर हाए होने से गुर्दे पर असर पड़ता है. पानी ज्यादा से ज्यादा पियें. अगर कुनकुना पानी करके पियें तो ज्यादा बेहतर है.
डॉक्टर या हकीम से इलाज करें. इन बीमारियों में परहेज़ ही इलाज है. ऐसे भी शुगर के मरीज़ हैं जो 40 - 50 साल से जियादा से इस बीमारी में मुब्तिला हैं और आम ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं.
लालच और बदपरहेज़ी ही बीमारियों को बढ़ाती है. ईलाज में काएदे से पैसे खर्च करवाती है. अच्छी सेहत के लिए पैग़म्बरे इस्लाम ने एक आसान नुस्खा बताया है, वोह है "पेट भर कर न खाना". और यह भी कहा है की "सूमू तुसेहू" रोज़ा रखो सेहतमंद रहो (माहे रमजान के अलावा भी).
क्यूंकि जान है तो जहान है.