My Karari
24 मई 2011
विलादते जनाबे फातेमा ज़हरा मुबारक
तज़किरा फ़ातेमा ज़हरा का ज़रा हो जाए
क्या हकीकत है ज़माने को बयां हो जाए
उस से अल्लाहो -नबी हो नहीं सकते राज़ी
जिस से शेह्ज़ादिए-कौनेन ख़फा हो जाए
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें