गुज़िश्ता आठ दिन करारी के लिए ख़ुशी और गमी के दिन थे, तीन बारात और दो अमवात. बेरुई के मौलाना हसनैन करारवी के फरजंद की बारात badaunpar से मोहल्ला शरीफाबाद गई.
मौलाना हसनैन साहब के बड़े भाई मासूम आलम के फरजंद की बारात करारी से करेली गई और मरहूम मंज़ूर हसन रिज़वी के नवासे, रिजवान इब्ने जियारत हुसैन की बारात करेली में Hira Palace पहुची. रात इसी शादी का वलीमा करेली के अम्बर पैलेस में हुआ.
इन आठ दिनों में चार दिन बारिश ने लिए. दो दिन बिजली के मसाएल रहे. जब तक पानी बरसता है मौसम अच्छा रहता है, लेकिन बाद की हालत काबिले बयान नहीं है.
सितम्बर के महीने को पश्चिमी यूं पी वाले सितमगर कहते हैं. इस महीने में यू पी के गाँव में कोई तकरीब रखना इन्तेकाम लेने के बराबर है, गर्मी से दूल्हा के अलावा सब परेशान रहते हैं.
इस सितम्बर के महीने में मौसम के उतार चढ़ाव की वजह से अक्सर लोग बीमार हो जाते हैं. डाक्टरों का यह कमाई का सीज़न है.
चुंके यहाँ बम्बई की तरह मुसलसल बारिश नहीं होती इस वजह से अवाम छाता लेकर घर से बाहर नहीं निकलती. थोड़ी देर बरसते हैं. लोग कहीं भी पनाह ले लेते हैं.
बिजली की सहूलत की वजह से हाथ के पंखों का भी रवाज ख़त्म हो रहा है, अब लोग अखबार और रुमाल का इस्तेमाल करते हैं. घर में इनवर्टर ने ज़िन्दगी का निजाम बदल दिया है.