28 मार्च 2012

गाह ज़हरा कभी अली ज़ैनब

क्या  करूं  मैं  सना  तेरी  ज़ैनब
तुझ  पे  सदके  सुखनवरी   ज़ैनब   
तेरे  शीरीं  सुख़न  का  क्या  कहना 
तेरा  सानी  नहीं  कोई   ज़ैनब  
खुश  कलामी  से  आप  लगती  हैं
गाह  ज़हरा  कभी  अली   ज़ैनब  
जिस  क़बीले  का  चाँद  है  अब्बास
है  उसी  घर  की  चांदनी   ज़ैनब   
तेरा  इरफ़ान  मिल  गया  जिसको 
उसकी  दुनिया   संवर  गई   ज़ैनब  

इरफ़ान इलाहाबादी 

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