क्या करूं मैं सना तेरी ज़ैनब
तुझ पे सदके सुखनवरी ज़ैनब
तेरे शीरीं सुख़न का क्या कहना
तेरा सानी नहीं कोई ज़ैनब
खुश कलामी से आप लगती हैं
गाह ज़हरा कभी अली ज़ैनब
जिस क़बीले का चाँद है अब्बास
है उसी घर की चांदनी ज़ैनब
तेरा इरफ़ान मिल गया जिसको
उसकी दुनिया संवर गई ज़ैनब
इरफ़ान इलाहाबादी
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