मरहूमा हुसैन फातेमा (हुसैना) बिन्ते मरहूम नफीसुल हसन के ईसाले सवाब के लिए मस्जिदे क़ाज़ी (इलाहाबाद) में आज नमाज़े मग्रेबैन के बाद मजलिसे तरहीम का इनेकाद किया गया है जिनका इन्तेकाल 25 ज़िलहज (21 मार्च 2001 ) को हुआ था.
मरहूमा ने 1997 में अपने वालिद, मरहूम नफीसुल हसन (जिन्हें हम लोग भुग्गी कह कर मुखातिब करते थे) के हमराह हज के फराएज अंजाम दिए थे. हमें याद है कि उस साल हमारा पहला हज था और हमारी मुलाक़ात मरहूमा से सफा की पहाड़ी पर सई करते हुए हुई थी. हमारी वालेदाह भी साथ थीं.
मरहुमीन मुस्लिम टूर के काफिले के साथ आए थे जो मरहूम मौलाना ज़फर अब्बास की जेरे निगरानी में था.
अल्लाह तआला इन मरहुमीन के दरजात में बुलंदी अता करे. यह लोग बहुत नेक इंसान थे.
आप लोगों से सुरह फातेहा की गुज़ारिश है.
मरहूमा ने 1997 में अपने वालिद, मरहूम नफीसुल हसन (जिन्हें हम लोग भुग्गी कह कर मुखातिब करते थे) के हमराह हज के फराएज अंजाम दिए थे. हमें याद है कि उस साल हमारा पहला हज था और हमारी मुलाक़ात मरहूमा से सफा की पहाड़ी पर सई करते हुए हुई थी. हमारी वालेदाह भी साथ थीं.
मरहुमीन मुस्लिम टूर के काफिले के साथ आए थे जो मरहूम मौलाना ज़फर अब्बास की जेरे निगरानी में था.
अल्लाह तआला इन मरहुमीन के दरजात में बुलंदी अता करे. यह लोग बहुत नेक इंसान थे.
आप लोगों से सुरह फातेहा की गुज़ारिश है.
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