मौलाना एहसान हैदर जवादी के मकान अस्मिता हेरिटेज में रात 8.00 बजे सातवें इमाम की विलादत के मौक़े पर मुसालमा था।
तकरीबन 7 शोअरा ने अपना कलाम पेश किया। जिसमें हैदराबाद से आए हुए मजहरुल हक़्क़ साहब भी थे। निज़ामत डॉ अब्बास आलम के हाथों में थी।
तकरीबन तमाम ही शोअरा के कलाम को मोमिनीन ने पसंद किया बिल्खुसुस मजहरुल हक़्क़, शमीम अब्बास और हलचल आज़मी ने।
मौलाना एहसान हैदर साहब ने अपने 72 बंद के मरसिए का इफ्तेताह करते हुए उस में से चंद बंद सामईन की नज़र किया।
मुसालमा light refreshment पर इखतिताम पज़ीर हुआ।
शमीम अब्बास के 4 मिसरे बतौर तबररुक पेशे ख़िदमत हैं:
तकरीबन 7 शोअरा ने अपना कलाम पेश किया। जिसमें हैदराबाद से आए हुए मजहरुल हक़्क़ साहब भी थे। निज़ामत डॉ अब्बास आलम के हाथों में थी।
तकरीबन तमाम ही शोअरा के कलाम को मोमिनीन ने पसंद किया बिल्खुसुस मजहरुल हक़्क़, शमीम अब्बास और हलचल आज़मी ने।
मौलाना एहसान हैदर साहब ने अपने 72 बंद के मरसिए का इफ्तेताह करते हुए उस में से चंद बंद सामईन की नज़र किया।
मुसालमा light refreshment पर इखतिताम पज़ीर हुआ।
शमीम अब्बास के 4 मिसरे बतौर तबररुक पेशे ख़िदमत हैं:
तशद्दुद, ज़ुल्म, हट धरमी जो सुल्तानों में रहती है
ब मुश्किल तालेबान अब हम मुसलमानों में रहती है
दरिंदों से सिवा वहशी ब नामे दीने हक़्क़ जो हैं
कहाँ हैवानियत उन जैसी हैवानों में रहती है।
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