यह आवाज़ अन्डेहरा के मरहूम दिलदार भाई की है।
अपनी ज़िन्दगी का एक अरसा मरहूम ने मुंबई में गुज़ारा।
ज़िन्दा दिल और खुशमिज़ाज इंसान थे।
मुंबई में बच्चों को घर घर गुब्बारे बेच कर अपने गाँव में अपना आबाई इमामबाडा बनवाया।
एक सुरह फातेहा से ज़रूर याद करें।
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