31 दिसंबर 2011

अंजुमन का नाम और बैंक अकाउंट नंबर


करारी की 8 रबीउल अव्वल का जुलूसे अमारी आलमी पैमाने पर शोहरत हासिल कर रही है. लोग तमन्ना रखते हैं के काश वोह भी इस तकरीब में हाज़िर होते और नौहाओ मातम में शरीक होते.
करारी से दूर रहने वाले अफराद ऐसे भी हैं जो पहले से छुट्टी की दरखास्त दे देते हैं और ट्रेन में अपनी सीट बुक करवालेते हैं.
यह मोहब्बते इमाम हुसैन (अ.स.) है. और साथ ही अपने वतन की सरज़मीन से लगाओ.
इसी लिए  अंजुमने अस्गरिया, करारी, जो इस जुलूस का एहतेमाम करती है, ने फैसला किया है की जो मोमिन इस जुलूसे अमारी में ज़ाहेरी तौर पर शिरकत न कर सकता हो वोह कम से कम अंजुमन को माली तौर पर  मदद कर सके.
अंजुमन का नाम और बैंक अकाउंट नंबर दिया जा रहा है ता के वोह भी इस कारे खैर में हिस्सा ले सकें.

ANJUMAN-E-ASGARIYA
Bank of Baroda, Karari,
a/c no. 29710100010712
IFSC - B A R B - KARARI
 Kaushambi (U.P.) INDIA
For detail contact: Babban bhai, Mobile: 09792634198

30 दिसंबर 2011

आह! हामिद चचा

यह मरसिया "इल्मो अमल" के उन्वान से मरहूम सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी ने मरहूम वालिदे अल्लाम सय्यद गुलाम हसनैन करारवी के चेहलुम पर करारी शिया जामे मस्जिद में पढ़ा था.
यह मरसिया मशहूर मरसिया निगार जनाब उम्मीद फाजली का है. जिस खूबसूरत अंदाज़ से हामिद चचा मरहूम ने पढ़ा है वोह काम उम्मीद फाजली खुद न कर सके.
वालिदे अल्लाम का चेहलुम फ़रवरी 1996  में हुवा   था.
मरसिया सुनने के बाद मरहूम को सुरे फातेहा से नवाजना न भूलें और आज नमाज़े वहशत पढना फरामोश न करें.
तद्फीन आज दर्याबाद, इलाहाबाद में शाम साढे 4 बजे के आस पास होगी.


सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी साहब का इन्तेकाल



आज सुबह 3 बजे जनाब सय्यद मोहम्मद हामिद रिज़वी साहब का इलाहाबाद में इन्तेकाल हो गया. तद्फीन की तफसील का इंतज़ार है. उनके छोटे भाई मुख्तार रिज़वी से 08127653123  पर राबता किया जा सकता है.

29 दिसंबर 2011

दुआ की Urgent दरखास्त

हामिद चचा की तबियत कुछ ज्यादा सिरिअस होगई है.
आप लोग उनकी सेहत के लिए " अम्मैं योजीबुल मुज्तर्रा इजा दआ हो व यक्षेफुस सू " पढ़ें.
वह इलाहबाद में ICU में दाखिल हैं और घर के तमाम अफराद उनके पास मोजूद हैं.

24 दिसंबर 2011

क्या आप आठ रबीउल अव्वल के जुलूस के लिए तैयार हैं?


जो मोमिनीन दूर दराज़ से जुलूसे अमारी में शिरकत के लिए करारी आना चाहते हैं वोह अपना रिज़र्वेशन करवा लें. अल्लाहाबाद में कुम्भ मेले  की आमद है.
यह याद रहे की जुलूसे अमारी का प्रोग्राम सफ़र महीने के 29 के चाँद के मुताबिक होता है.
मौसम में ठंडक के आसार इस साल ज्यादा होंगे, लिहाज़ा गर्म कपडे के एहतिमाम के साथ करारी तशरीफ़ लाएं.


22 दिसंबर 2011

करारी में ठंडक

दो करारवी सर्दी से बचने के लिए कहकशां होटल में पनाह लिए हुए

मुंबई के बांद्र पूर्व इलाके में 25 मुहर्रम के मौके पर जुलूसे अजा

25 मुहर्रम को चौथे इमाम, हज़रत इमाम अली इब्निल हुसैन, जो सय्येदुस साजेदीन और जैनुल आबेदीन के लक़ब से जाने जाते हैं की शहादत के मौके पर बांद्रा के खेरवाडी इलाके से नमाज़े मग्रेबैन पढ़ कर उनकी याद में एक जुलूसे अजा बरामद हुआ. पहली मजलिस मौलाना जाकी साहब ने पढ़ी और आखरी मजलिस मौलाना हसनैन करारवी ने. निजामत के फराएज़ जनाब उम्मीद आज़मी ने अंजाम दिए
मौलाना ज़की साहब पहली मजलिस पढ़ते हुए.

उम्मीद आज़मी साहब निजामत करते हुए.


विडिओ में आखरी मजलिस से पहले हसन इलाहाबादी अपना नजराने अकीदत पेश करते हुए.

12 दिसंबर 2011

करारी के ओलामा के खिलाफ साज़िश का पर्दा फाश

करारी में चंद शरपसंद अनासिर, फासिक और बेदीन अफराद ने करारी के ओलामा को बदनाम करने की साजिश रची थी जिस का पर्दा फाश हो गया.
एक जय्यिद और बुज़ुर्ग आलिम दीन के नाम से मुहर्रम से पहले एक परचा छपवाया. इस परचे में महीनी यह थी के इसमें पहले करारी में निकलने वाले जुलूस की फेहरिस्त थी और आखिर में एक नोट लगी हुई थी.
यह नोट करारी के एक बुज़ुर्ग आलिम की तरफ मंसूब थी. इस आलिम के पीछे बहुत दिन से लोग ताक में लगे थे क्यूंकि यह मिम्बर पर अक्सर हक और खरी खरी बात करता था. मिम्बर से हक बात कहने में अपनी औलाद को भी नहीं बख्शा.

नीचे दर्ज अहेम नुक्तों ने इन शर पसंद अफराद की साज़िश को बेनकाब करदिया.

1 - इस आलिम के Rizvi खानदान से इतने अच्छे ताल्लुकात थे (9 मुहर्रम की रिज़वी कॉलेज की मजलिस इन्हीं से पढवाई जाती है) की अगर उन्हें इतनी बड़ी बात कहनी होती तो पहले वोह राबता करते और तस्दीक करते. इसी 9 मुहर्रम को वोह खुश अख्लाकी से कॉलेज के बंगले पर मिले.

2 - दूसरा यह इतना बुज़ुर्ग आलिम जो हव्ज़ाए इल्मिया से Retire हुआ हो और अपनी ज़िन्दगी दरसे अखलाक देने में गुजारी हो वोह कभी इतनी ओछी, पस्त और गिरी हुई बात नहीं कर सकता. इस आलिमे दीन को पता है किसी इलाके में रहने वाला अगर अपनी बस्ती के जुलूस या मजलिस के बारे में जानकारी नहीं रखता तो वोह कोई ऐब नहीं है. बहुत से अफराद ऐसे हैं जो शहरों में रहते हैं और  अपनी बस्ती की तफ्सीलात नहीं जानते, लेकिन अपने इलाके से जुड़े हुए हैं और अपनी बस्ती की तरक्की के लिए अस्पताल, स्कूल और कॉलेज तामीर करने के काम करते हैं जिस से लोग अपना निजी फ़ाएदा भी उठाते हैं और चंदा भी ले जाते हैं.

3 - सब से बड़ी दलील इस परचे के पीछे मुजरिमाना ज़िन्दगी गुज़ारने वालों की यह है के उन्हों ने ऐसे आलिमे दीन के नाम से मंसूब किया है जिसने अपनी दीनी तालीम लखनऊ या बनारस में नहीं हासिल की बल्कि नजफे अशरफ के बड़े बड़े अयातुल्लाह और मराजे किराम से दरस हासिल किया. और यह आलिमे दीन इतनी बात ज़रूर जानता है की अपनी बस्ती के मुहर्रम की मजलिस और जुलूस की तफ्सीलात न जान्ने वाला "शिय्यत से खारिज" नहीं हो सकता, क्यूंकि यह अक्ल और शरीअत के मनाफ़ी है.

4 - यह भी जानकार आप लोगों को हैरत होगी की इस handbill को जिस आलिमे दीन से मंसूब किया उसके नाम के साथ उसकी दस्तखत (signature ) भी नहीं है. बिला दस्तखत कोई भी परचा किसी रद्दी की जीनत ही बन सकता है.

शरपसंदों की तरफ से करारी तकसीम किया गया परचा.

10 दिसंबर 2011

कमर अब्बास इब्ने गुलज़ार हुसैन का इन्तेकाल



आज शाम 4 बजे एक तवील अरसे से अलील जनाब कमर अब्बास इब्ने गुलज़ार हुसैन अपनी बीमारी से लड़ते हुए इस दारे फानी से कूच कर गए.
मरहूम करारी शिया जामे मस्जिद के मेनेजर जनाब शमीम हैदर साहब (छोक्कन) के बहनोई थे.
तद्फीन इंशा अल्लाह कल दोपहर 2 बजे दिन में करबला में होगी.
जो हजरात तद्फीन में न पहुँच सकें तो वोह मरहूम के ईसाले सवाब के लिए एक सुरह फातेहा पढ़ें और कल नमाज़े मग़रिब और इशा के दरमियान नमाज़े वहशत बजा लाएं.
मजीद जानकारी के लिए शमीम हैदर साहब से राबता किया जा सकता है. 09307542923

06 दिसंबर 2011

अम्बही के मैदान में आमाले आशूरा


बरसों से करारी में आशूर के रोज़ अम्बाही में आमाले आशूरा का एहतिमाम किया जाता है. वैसे तो यह आमाल तलाबपर, कर्बला और दीगर मकामात पर भी होते हैं लेकिन अम्बाही में लोग कसीर तादाद में शिरकत करते हैं.

अज़ादार  अम्बाही  में  आमाले  आशूरा  अदा  करते  हुए

अली मंजिल में मजलिसे अजा


मुहर्रम की नौ तारीख को हर साल अली मंजिल में मग़रिब की नमाज़ के बाद मजलिस होती है. इस साल इस मजलिस का आगाज़ केसन की सोज़ खानी से हुआ. जावेद रिज़वी ने जोश मलीहाबादी का मर्सिया पढ़ा और मौलाना मुन्तजिर अब्बास रिज़वी ने खेताब फ़रमाया.
नौहा और मातम पर मजलिस तमाम हुई.

बड्दन भाई के घर पर सालाना मजलिस


शाम चार बजे नजीर अब्बास उर्फ़ बड्दन के घर पर नौ मुहर्रम को हर साल की तरह इस साल भी एक मजलिस बरपा हुई.
केसन ने सोज्खानी की, हुसैन भाई ने मजलिस पढ़ी जिस का उन्वान था सलवात की फजीलत. मजलिस के बाद नाज़िर हुसैन ने नौहा पढ़ा.

केसन सोज़ पढ़ते हुए

आज 9 मुहर्रम को करारी में अज़ादारी

आज  नों मुहर्रम को कोई जुलूस नहीं बरामद हुआ.
सिर्फ नमाज़े जोहर के बाद अहाता में गहवारा निकला गया.
रिज़वी कॉलेज में सालाना मजलिस हुई. हुसैन भाई ने निजामत के फराएज़  अन्जाम इस शेर से दिया.
अजब  मजाक था इस्लाम की तकदीर के साथ 
कटा हुसैन का सर नारए  तकबीर  के साथ
अबू मोहम्मद ने अपने चहेते शाएर जनाब पयाम आज़मी साहब का मुसद्दस बड़े जोशीले अंदाज़ से पढ़ा.
मजलिस जनाब मौलाना ज़ोहैरकैन साहब ने पढ़ी. उन्हों ने एक बहुत अहेम बात कही और कहा की मजलिस से क़ब्ल माइक  पर बानी मजलिस बहुत जोर नौहे का केसिट लगा देते हैं यह मुनासिब नहीं है. यह तफरीह है. अज़ादार अपनी कार में नौहा ऊँची आवाज़ में लगाए घुमते हैं. यह ठीक नहीं  है.
मजलिस के बाद हुसैन भाई ने मुख़्तसर  सा  नौहा पढ़कर  ज़िआरत   पर प्रोग्राम  को इख्तेताम  तक  पहुँचाया .
Rizvi  College Hall


05 दिसंबर 2011

करारी में आठ मुहर्रम के कुछ ख़ास प्रोग्राम

आठ मुहर्रम नमाज़े ज़ोहरैन के बाद रेहान भाई के घर से जुलूसे अजा बरामद होता है. यह खरकापर तक जाकर उनके दौलत खाने पर पलट कर आता है. शबीहे ज़ुल्जनाह भी जुलूस के साथ साथ रहता है.  मुख्तलिफ साहिबे बयाज़ नौहा खानी करते हैं. इन में करारी के मशहूर साहेबे बयाज़ जनाब हीरा साहब और जामिन अब्बास अपनी दर्द भरी आवाज़ में लोगों की आँखों में आंसू ले आते हैं.
उसके बाद शब् में रेहान भाई अपने दौलत कदे   पर नजर का इंतज़ाम भी करते हैं.
दिन में नमाज़े जोहर से क़ब्ल नाच घर पर शमीम हैदर उर्फ़ छोक्कन भाई के मकान पैर मजलिसे अजा बरपा हुई जिसमें मौलाना अख्तर रिज़वी ने खिताबत की. उसके बाद नौहाओ मातम हुआ. नमाज़ के बाद नजर का एहतेमाम भी था.
आठ मुहर्रम को ही करारी से करीब सरय्याँ गाँव में भी मजलिसओ जुलूस का सिलसिला था.

जुलूस खरकापर की तरफ  जाते  हुए 

04 दिसंबर 2011

सात मुहर्रम का जुलूस

कल 7 मुहर्रम थी. महल पर मोहल्ला से जुलूसे अजा तकरीबन 3 बजे दोपहर बरामद हुआ. शबीहे ज़ुल्जनाह हमराह था. कई अदद नौहे पढ़े गए.
यह जुलूस करबला में तमाम हुआ. इस जुलूसे के रूहे रवां जनाब गुलाम पंजतन काफी एहतेमाम करते हैं. ठीक मगरिब की नमाज़ के वक़्त जुलूस करबला पहुंचा और वहां से दोबारा महल पर पलटा.
बच्चे और नौजवानों  ने पुर जोर मातम किया.
करारी की कर्बला 

03 दिसंबर 2011

फाटक में शबीहे ताबूत

फाटक का  इमामबाडा बहुत क़दीम है. यहाँ पर हिन्दोस्तान के बड़े बड़े जाकेरीन ने खिताबत की है. इस साल मरहूम हिदायत हुसैन उर्फ़ हिद्दन के फरजंद की ज़िम्मेदारी है की वोह मजालिस को बरपा करें. वोह कर भी रहे हैं.
मौलाना जवाद हैदर साहब ज़ाकरी फरमा रहे हैं. आज रात फाटक से शबीहे ताबूत बरामद होंगे.
मौलाना जवाद हैदर साहब खिताब करते हुए.
     

कर्बला की जानिब जाने वाला जुलूसे अजा

छे मुहर्रम को अकील अब्बास के घर से (चमन गंज) कर्बला के लिए दो  पहर ३ बजे जुलूस अजा बरामद होता है.
इस जुलूस में शबिहे ज़ुल्जनाह भी साथ होता है.
अंजुमन की कोई क़ैद नहीं है. साहेबे बयाज़ नौहा पढ़ते हैं और अज़ादार मातम करते हुए कर्बला कि जानिब बढ़ते हैं.
इस का शुमार  क़दीमी जुलूस में होता है. मरहूम एजाज़ अब्बास उर्फ़ मुन्ने साहब बहुत एहतिमाम किया करते थे. अब भी यह बड़ी शानो शौकत से बरामद किया जाता है.
सूरज डूबते ही अपनी मंजिल कर्बला पहुँच जाता है.
कर्बला में इदारे इस्लाम की जानिब से जनाब राशिद रिज़वी के जेरे इंतज़ाम चाय की सबील लगती है. चाय की इस  सबील की शुरूआत मरहूम सय्यद  गुलाम हसनैन करारवी ने तकरीबन 18 साल पहले की थी. पहले यह चाय अबुल हसन की चक्की के आगे बनी जाती थी. लेकिन जब इस की तकसीम से जुलूस में बाधा आने लगी तो इसे कर्बला में मुन्ताकिल कर दिया गया.
पहली से दस मुहर्रम में कर्बला में ख़त्म होने वाले चार जुलूस हैं.
मुहर्रम की पांच, छे, सात और रोज़े आशुरा का जुलूस.
हज़रत अब्बास (अ.स.) की दरगाह 
चाय का एहतिमाम 

02 दिसंबर 2011

इमामबाडा रोशन अली में जोलूसे गहवारा

इमामबाडा रोशन अली में हर 6 मुहर्रम को 70  साल से शबीहे गह्वारए हज़रात अली असग़र बरामद होते आ रहे हैं.
आज की मजलिस मौलाना मुन्तजिर महदी ने पढ़ी. मजलिस के बाद एक ही नौहा पढ़ा जा सका क्यूंकि जुमा का रोज़ था, नमाज़े जुमा ज़वाले आफ़ताब की वजह से 11 .45  पर अज़ान होनी थी.
मौलाना मुन्तजिर मजलिस पढ़ते  हुए  

छे मोहर्रम: करारी में हस्बे प्रोग्राम अज़ादारी

आज मोहर्रम की 6 तारीख़ है. पहली मजलीस डिपुटी साहब के इमाम बाड़े में मौलाना ज़ोहैर कैन साहब ने पढ़ी.
दूसरी मज्लिस सवा आठ बजे बड़े दरवाज़े के इमाम बाड़े में हुई उसके बाद दौरे की दीगर मजालिस हुईं.
सवा दस बजे इमामबाडा रौशन अली में गहवारे की मज्लिस शुरू हो गई है. पहले तूसी रिज़वी ने कुरआन करीम की तिलावत की. अब उसके बाद सोज़ खानी का सिलसिला जारी है. महमूदुल हसन साहब अपने मखसूस और दिल्सोज़ अंदाज़ में पढ़ रहे hain.
जावेद रिज़वी ने अब इत्तेहाद पर  मुसद्दस पढना शुरू कर दिया है.