फाटक के अक़ब में रेहान भाई के मकान पर दौरे की मजलिस पहली मुहर्रम से नौ मुहर्रम तक बरपा होती है. इन मजलिस की ख़ुसूसियत यह है की रेहान भाई खुद मर्सिया खानी अपने ख़ास अंदाज़ में करते हैं. और 8 मुहर्रम को एक जुलूस भी उनके मकान से बरामद होकर खर्कापर जाकर वापस लौटता है. बस एक कमी लोग महसूस करते हैं की मग़रिब की नमाज़ के वक़्त भी यह जुलूस जारी रहता है.
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रेहान भाई मर्सिया पढ़ते हुए |
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